-आपत्ति होने पर पीडि़ता पक्ष को न्यायालय के समक्ष आने की मंजूरी
गैंगरेप मामले में सीबीआई जांच को लेकर दायर याचिका का निपटारा
अहमदाबाद. शहर में सनसनी मचाने वाले सामूहिक दुष्कर्म प्रकरण में सीबीआई जांच को लेकर दायर याचिका का गुजरात उच्च न्यायालय ने निपटारा कर दिया। न्यायाधीश आर. पी. धोलरिया ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रकरण में जांच अधिकारी के व्यवहार के मुद्दे का समाधान हो चुका है और पीडि़ता के बयान दर्ज किए जाने के प्रश्न का भी निपटारा हो चुका है। ऐसे में इस याचिका में और किसी कार्रवाई का सवाल नहीं रहता हालांकि पीडि़त पक्ष को कोई आपत्ति हो तो वह न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर सकता है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील मितेश अमीन ने दलील दी कि इस मामले में जांच अधिकारी को बदल दिया गया है वहीं आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत पीडि़ता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष लिया जाएगा। इन परिस्थितियों में इन दोनों मुद्दों का निराकरण किए जाने के बाद इस याचिका को लंबित रखने का कोई अर्थ नहीं है। 22 वर्षीय पीडि़ता के पिता ने च्च न्यायालय से इस मामले में पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। साथ ही पीडि़ता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने और आरोपी को गिरफ्तार किए जाने की गुहार लगाई थी। इसमें पीडि़ता की ओर से कहा गया कि इस मामले में पुलिस तटस्थ जांच नहीं कर रही है। पुलिस की ओर से बयान बदलने के लिए दवाब डाला जा रहा है और साथ ही गुनहगार की तरह बरताव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान नहीं लिया गया। इसलिए इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या केन्द्रीय एजेंसी को सौंपी जानी चाहिेए।
पीडि़ता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज अहमदाबाद. गैंगरेप मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष 22 वर्षीय पीडि़ता का बयान दर्ज कराया गया। शहर के घी कांटा स्थित मेट्रोपोलिटन अदालत परिसर में पीडि़ता का बयान दर्ज किया गया। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत पीडि़ता का बयान दर्ज किया गया।