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Vavratra : जामनगर की ऐसी गरबी जहां सिर्फ ५ से १० वर्ष की बालिकाएं ही खेलती हैं गरबा

locationअहमदाबादPublished: Oct 06, 2019 04:02:33 pm

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

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Vavratra : जामनगर की ऐसी गरबी जहां सिर्फ ५ से १० वर्ष की बालिकाएं ही खेलती हैं गरबा

Vavratra : जामनगर की ऐसी गरबी जहां सिर्फ ५ से १० वर्ष की बालिकाएं ही खेलती हैं गरबा

जामनगर. नवरात्र शुरू होने के साथ ही गुजरातभर में बच्चों से लेकर युवक-यवतियां एवं बुजुर्ग सभी गरबा खेलकर माता की आराधना कर रहे हैं। पार्टी प्लॉट एवं निजी रास-गरबों के बीच शेरी गरबा व प्राचीन गरबों का भी अपना महत्व है। ऐसे ही गरबा मंडलों में शामिल हैं चौसठ जोगणी एवं अंबाजी कुमारिका गरबी, जहां सिर्फ ५ से १० वर्षीय बालिकाएं ही गरबा खेलती हैं।

शहर के पंचेश्वर टावर के निकट पिछले ३५ वर्षों से चौसठ जोगणी गरबी मंडल की ओर से शेरी गरबा का आयोजन किया जाता है, जहां बालिकाएं ही गरबा खेलती हैं। भरतभाई संचालित १० लोगों के ग्रुप की ओर से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गरबी का आयोजन किया गया है, जिसमें १४० बालिकाओं ने भाग लिया है। नवरात्र से पूर्व तीन दिन बालिकाओं को अभ्यास के लिए बुलाया जाता है, जिससे उन्हें थकान भी नहीं लगे और अच्छी तरह से गरबा खेल सके।

गरबी आयोजकों का कहना है कि बरसाती वातावरण के बीच भी माताजी की दया से गरबी के आयोजन में कोई विघ्न नहीं आया, सभी बालिकाओं ने गरबे का लुत्फ उठाया।

गरबी की विशेषता

चौसठ जोगणी गरबी मंडल का नाम चौसठ जोगणी माताजी के नाम से रखा गया है। जामनगर में स्थित चौसठ जोगणी माता के मंदिर में वर्षों पूर्व गरबी के आयोजक दर्शन करने के लिए गए थे। ऐसे में माताजी के नाम से ही गरबी का नाम रखने का विचार आया था। इस मंडल में फीस के नाम पर एक रुपए भी नहीं लिया जाता है।
यहां २५ वर्षों से होती हैं गरबी


शहर के पंचेश्वर टावर के पास पिछले २५ वर्षों से अंबाजी कुमारिका गरबी का आयोजन किया जाता है। प्रवीणसिंह सोलंकी संचालित यंग सोशल ग्रुप के ३० सदस्यों की ओर से आयोजित इस गरबी में ५ से १० वर्षीय बालिकाओं को ही प्रवेश दिया जाता है। नवरात्र से पूर्व ग्रुप की महिलाओं की ओर से बालिकाओं को एक महीने तक प्रशिक्षण दिया जाता है। छोटी-छोटी बालिकाएं जब गरबा खेलती हैं तो दर्शक भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस वर्ष ४० बालिकाएं गरबी खेल रही हैं।

तीन वर्षीय दो बालिकाओं ने पारंपरिक वस्त्रों से सुसज्जित होकर माताजी के गरबे का गुणगान गाया था।
ग्रुप की ओर से भाग लेने वाली सभी बालिकाओं को अंबाजी के दर्शनार्थ ले जाया जाता है। स्पेशल डे उत्सव के तहत बालिकाओं को आठम के दिन राधा-कृष्ण बनाया जाता है। मंडल के प्रत्येक सदस्य सफेद कुर्ता एवं साफा पहनकर आते हैं। इस बार गरबे में डीजे सिस्टम का उपयोग किया गया है।
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