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सीने मेंं ट्यूमर ग्रस्त हड्डी को निकाल लगाई जाली

locationअहमदाबादPublished: Jul 13, 2020 11:06:37 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

पहली बार किया ऐसा ऑपरेशन…कैंसर ग्रस्त मरीज को दिया जीवन दान

सीने मेंं ट्यूमर ग्रस्त हड्डी को निकाल लगाई जाली

Doctors Team

अहमदाबाद. 50 वर्षीय मरीज के सीने में कैंसर ग्रस्त हड्डी (स्टर्नम) का 75 फीसदी भाग निकालकर उसकी जगह पर टाइटेनियम मेस (जाली) लगा दी गई। अहमदाबाद के सिविल कैंपस स्थित गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीसीआरआई) में पिछले दिनों किए गए इस ऑपरेशन से न सिर्फ मरीज को नया जीवन मिला है बल्कि उसे असहनीय पीड़ा से भी मुक्ति मिली है। जाली लगाकर किया गया यह ऑपरेशन संभवत: देश में पहली बार है। मरीज की स्थिति अच्छी बताई जा रही है।
कच्छ जिले के 50 वर्षीय एक व्यक्ति के सीने में गत अप्रेल-मई माह में असहनीय पीड़ा थी। स्थानीय अस्पतालों मे जांच करवाई गई तो पता चला कि उसके सीने की हड्डी अर्थात स्टर्नम में कैंसर की गांठ थी, जो दुर्लभ तरह की बीमारी है। इस किस्म की बीमारी को चिकित्सकीय भाषा में कोंडो सार्कोमा कहा जाता है। सीने में होने वाली असहनीय पीड़ा को कम करने के लिए मरीज को मॉर्फिन की गोली लेनी पड़ती थी। लॉकडाउन के दौरान ही मरीज को अहमदाबाद के जीसीआरआी अस्पताल में लाया गया। जहां चिकित्सकों ने इसका जटिल ऑपरेशन किया।जीसीआरआई के निदेशक डॉ. शशांक पंड्या के मार्गदर्शन में यह ऑपरेशन डॉ. मोहित शर्मा के नेतृत्व में किया गया। जिसमें अस्पताल के डॉ. केतुल पुज, डॉ. नीरव महाराजा, डॉ. अभिषेक गांगुली, डॉ. राहुल अग्रवाल तथा डॉ. शिवम पंड्या की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
निकाली गई हड्डी की जगह को भरना चुनौती पूर्ण
पांच घंटे तक चले ऑपरेशन में मरीज की कैंसर ग्रस्त हड्डी (स्टर्नम) का 75 फीसदी हिस्सा निकालना पड़ा। जिसकी खाली हुई जगह को टाइटेनियम मेस (जाली) से भरा गया। कैंसर ग्रस्त हड्डी को निकलना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन हड्डी की जगह को भरना चुनौती है। जगह को खाली रखने से बहुत समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस हड्डी के इर्दगिर्द शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय और फेफड़े होते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए इस हड्डी की जगह को जाली से भरा गया है। स्टर्नम की हड्डी की खाली हुई जगह को जाली से भरा जाना संभवत: यह पहला ऑपरेशन है।
डॉ. मोहित शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जीकल ऑकोलोजी, जीसीआरआई
असहनीय पीड़ा से निशुल्क मिल गई मुक्ति
कच्छ के इस मरीज को असहनीय पीड़ा के कारण उसे बार-बार मॉर्फिन दवाई का सेवन करना पड़ता था। ऑपरेशन के बाद इस दवाई से मुक्ति मिल गई है। इस तरह के ऑपरेशन में लाखों रुपए का खर्च आ सकता था लेकिन जीसीआरआई में निशुल्क किया गया है। कोरोना काल में जटिल ऑपरेशन करना भी काफी चुनौती पूर्ण है। मरीज की हालत अच्छी है उसे जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।
डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई
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