निकाली गई हड्डी की जगह को भरना चुनौती पूर्ण
पांच घंटे तक चले ऑपरेशन में मरीज की कैंसर ग्रस्त हड्डी (स्टर्नम) का 75 फीसदी हिस्सा निकालना पड़ा। जिसकी खाली हुई जगह को टाइटेनियम मेस (जाली) से भरा गया। कैंसर ग्रस्त हड्डी को निकलना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन हड्डी की जगह को भरना चुनौती है। जगह को खाली रखने से बहुत समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस हड्डी के इर्दगिर्द शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय और फेफड़े होते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए इस हड्डी की जगह को जाली से भरा गया है। स्टर्नम की हड्डी की खाली हुई जगह को जाली से भरा जाना संभवत: यह पहला ऑपरेशन है।
डॉ. मोहित शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जीकल ऑकोलोजी, जीसीआरआई
पांच घंटे तक चले ऑपरेशन में मरीज की कैंसर ग्रस्त हड्डी (स्टर्नम) का 75 फीसदी हिस्सा निकालना पड़ा। जिसकी खाली हुई जगह को टाइटेनियम मेस (जाली) से भरा गया। कैंसर ग्रस्त हड्डी को निकलना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन हड्डी की जगह को भरना चुनौती है। जगह को खाली रखने से बहुत समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस हड्डी के इर्दगिर्द शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय और फेफड़े होते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए इस हड्डी की जगह को जाली से भरा गया है। स्टर्नम की हड्डी की खाली हुई जगह को जाली से भरा जाना संभवत: यह पहला ऑपरेशन है।
डॉ. मोहित शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जीकल ऑकोलोजी, जीसीआरआई
असहनीय पीड़ा से निशुल्क मिल गई मुक्ति
कच्छ के इस मरीज को असहनीय पीड़ा के कारण उसे बार-बार मॉर्फिन दवाई का सेवन करना पड़ता था। ऑपरेशन के बाद इस दवाई से मुक्ति मिल गई है। इस तरह के ऑपरेशन में लाखों रुपए का खर्च आ सकता था लेकिन जीसीआरआई में निशुल्क किया गया है। कोरोना काल में जटिल ऑपरेशन करना भी काफी चुनौती पूर्ण है। मरीज की हालत अच्छी है उसे जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।
डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई
कच्छ के इस मरीज को असहनीय पीड़ा के कारण उसे बार-बार मॉर्फिन दवाई का सेवन करना पड़ता था। ऑपरेशन के बाद इस दवाई से मुक्ति मिल गई है। इस तरह के ऑपरेशन में लाखों रुपए का खर्च आ सकता था लेकिन जीसीआरआई में निशुल्क किया गया है। कोरोना काल में जटिल ऑपरेशन करना भी काफी चुनौती पूर्ण है। मरीज की हालत अच्छी है उसे जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।
डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई