अहमदाबाद. प्रबंधन शिक्षा में विश्व में अपनी विशेष पहचान रखने वाले भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) से डॉक्टोरल रिसर्च प्रोग्राम (फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट) की शिक्षा पूरी करने वाले वर्ष २०१८ बैच में ‘आधी आबादी’ की बराबरी की हिस्सेदारी है यानी ५० प्रतिशत महिलाएं हैं। ऐसा पहली बार है जब शिक्षा पूरी करने वाले बैच में महिलाओं और पुरुष की संख्या एक समान है।
बीते वर्ष २०१७ के बैच में महिलाओं की हिस्सेदारी २५ प्रतिशत थी, जबकि २०१६ के बैच में यह संख्या १० प्रतिशत से भी कम थी। वर्ष २०१८ के बैच में आईआईएम-ए से १६ विद्यार्थी एफपीएम की शिक्षा पूरी कर रहे हैं। इसमें आठ पुरुष जबकि आठ महिलाएं हैं। यह दर्शाता है कि शोधार्थी विद्यार्थियों में तो बराबरी है ही, आगे चलकर अच्छी महिला शिक्षक भी मिलेंगी। वर्ष २०१७ के बैच में १८ विद्यार्थियों ने शिक्षा पूरी की थी, जिसमें १४ पुरुष थे, जबकि चार महिलाएं थीं। २०१६ में १२ विद्यार्थियों में सिर्फ एक महिला थी।
संस्थान के एफपीएम के अध्यक्ष प्रो.अमित गर्ग का कहना है कि वर्ष २०१८ के एफपीएम बैच में महिलाओं की ५० प्रतिशत की हिस्सेदारी दर्शाता है कि प्रबंधन की उच्च स्तरीय एवं शोध के क्षेत्र में महिलाओं का विकास पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा गति से हो रहा है।
एफपीएम (मार्केटिंग) छात्रा बिश्वजीता परीदा का कहना है कि आईआईएम-ए ने शोध प्रोग्राम में महिला सशक्तिकरण और महिला-पुरुष समानता का एक बेहतरीन उदाहरण अन्य संस्थाओं के लिए पेश किया है। यह शोध कोर्स में एक नया अध्याय है। यह महिलाओं को शोध में भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
एफपीएम (पब्लिक सिस्टम ग्रुप) छात्रा सरिता विश्वनाथन का कहना है कि आज हम कह सकते हैं कि महिलाएं आज इस जगह पर अपने बलबूते, मेहनत से खड़ी हैं। किसी
कोटा या अन्य राहत की वजह से उन्होंने आईआईएमए से डॉक्टोरल की शिक्षा पूरी नहीं की।
आईआईएम-ए से १९७४ में पहले विद्यार्थी ने एफपीएम की शिक्षा पूरी की थी। अब तक ३४९ विद्यार्थी एफपीएम कर चुके हैं।