लिंगानुपात भी बाल विवाह प्रथा को देता है प्रोत्साहन
राजकोट में सौराष्ट्र-कच्छ के सामाजिक नेताओं का सेमिनार
लिंगानुपात भी बाल विवाह प्रथा को देता है प्रोत्साहन
राजकोट. राज्य के सामाजिक सुरक्षा विभाग की ओर से बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने के लिए शुरू किए गए नवीन अभियान के तहत राजकोट में सौराष्ट्र-कच्छ के विभिन्न समाज के अग्रणियों (नेताओं) के लिए जागृति सेमिनार में सामाजिक सुरक्षा निदेशक जी.एन. नाचिया ने कहा कि हाल ही यह भी उजागर हुआ है कि लिंगानुपात भी बाल विवाह प्रथा को प्रोत्साहन देता है। पुत्र को बाद में कन्या ना मिलने की मान्यता के कारण विशेष तौर पर सौराष्ट्र में अनेक समाज में बाल विवाह ही करवाया जाता है। इसके अलावा शिक्षा भी एक कारण है। जो कन्या बीच में पढ़ाई छोड़ती है, उसका घर बसता है इसलिए उनका विवाह भी अभिभावक जल्दी करवाते हैं।
बाल विवाह से होते हैं ये नुकसान
नाचिया ने बाल विवाह से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे बालक या बालिका का बचपन छीन जाता है, उचित शिक्षा भी नहीं ले सकते और इस कारण रोजगार की समस्या खड़ी होती है, आर्थिक परेशानी खड़ी होती है। विशेष तौर पर कन्या को कम उम्र में मातृत्व की अवस्था में जाने के कारण स्वास्थ्य पर खतरा होता है।
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