बनासनी बेन को मिला जीत का तमगा
इस सीट पर आरंभ से कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। यह राज्य की एकमात्र ऐसी लोकसभा सीट थी जिसमें दो महिला उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला था। कांग्रेस ने इस सीट की उम्मीदवार के लिए बनासनी बेन गेनीबेन का नारा बुलंद किया था। प्रियंका गांधी ने भी उनके लिए चुनावी सभा की थी। वहीं पहली बार चुनाव में उतरीं भाजपा उम्मीदवार व प्रोफेसर रह चुकीं रेखाबेन के लिए गेनीबेन से पार पाना मुश्किल था। वे एशिया की सबसे ब़ड़ी बनास डेयरी के संस्थापक गलबाभाई चौधरी की पौत्री के रूप में लोगों के सामने थीं और बनासनी बेन गेनीबेन की तरह ही उन्होंने खुद को बनास नी बेटी (बनास की बेटी) का नारा दिया था।
पिछले दो चुनाव में भाजपा की हुई थी जीत
इससे पहले 2019 में भाजपा के परबत पटेल ने कांग्रेस के परथी भटोळ को 3.68 लाख के अंतर से मात दी थी। वहीं 2014 में भी भाजपा के ही हरि चौधरी ने 2 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी। हालांकि इस बार गेनीबेन ने कांग्रेस के लिए वह करिश्मा कर दिखाया जो बीते दस वर्षों में पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं कर सका।पहले भी चौंका चुकी हैं गेनीबेनयह पहला मौका नहीं है जब गेनीबेन ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया हो इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता शंकर चौधरी को शिकस्त दे चुकी हैं। इसके चलते शंकर चौधरी को अपनी सीट तक बदलनी पड़ी। चौधरी फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष के साथ-साथ बनास डेयरी के अध्यक्ष भी हैं।जनता ने नोट भी दिया, वोट भीगेनीबेन की जीत के मायने इसलिए भी अहम हो जाते हैं क्योंकि उन्हें जनता ने न सिर्फ वोट देकर जिताया है बल्कि चुनाव लड़ने के लिए नोट देकर आर्थिक मदद (क्राउडफंडिंग) भी की। कांग्रेस ने गेनीबेन की इस जुगत का कुछ अन्य सीटों पर भी इस्तेमाल किया था।
जीत का कारण यह
राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि गेनीबेन का जमीनी तौर पर लोगों से जुड़े रहना और इलाके में प्रभावी मानी जाने वाले ठाकोर समुदाय पर वर्चस्व उनकी जीत का कारण रहा। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ मनीष दोशी के मुताबिक गेनीबेन जमीन से जुड़ी हुई नेता हैं। बाढ़ के दौरान भी उन्होंने क्षेत्र के लोगों की मदद की थी। साथ ही यहां पर प्रियंका गांधी ने सभा भी की थी जिसका भी लाभ पार्टी को मिला।
62 साल बाद बनी दूसरी महिला सांसद
इस सीट से लोकसभा चुनाव जीतने वालीं गेनीबेन सिर्फ दूसरी महिला प्रत्याशी हैं। इससे पहले 1962 के चुनाव में कांग्रेस की जोहराबेन चावड़ा ने पहली बार जीत दर्ज की थी। इस तरह 62 साल बाद इस सीट से कोई दूसरी महिला सांसद बनी है। इस सीट के इतिहास पर गौर करें तो अब तक हुए 18 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 10 बार और भाजपा 5 बार जीत हासिल कर चुकी है। एक-एक बार स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी व जनता दल को यहां से जीत मिल चुकी है।