जीआईडीसी देगी 800 किसानों को देगी प्लॉट
किसानों को अधिगृहित जमीन के एवज में रकम के अलावा दिया जा रहा है यह प्लॉट

अहमदाबाद. गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) एक रूपए के टोकन भाव पर साणंद जीआईडीसी के लिए अधिगृहित किए गए किसानों की जमीन के एवज में प्लॉट देगी। निगम जीआईडीसी साणंद-2 के लिए अधिग्रृहित किए गए तीन गांवों की जमीन के लिए करीब साढ़े 800 किसानों को यह प्लॉट व्यावसायिक रूप से कार्यो के लिए मिलेगा।
जीआईडीसी के सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर (मुख्य कार्यालय) बी. सी. वर्ली ने बताया कि इनमें हीरापुर गांव के 295 प्लॉट, चरल गांव के 194 तथा बोळ गांव के 366 प्लॉट सहित कुल 855 प्लॉट निर्धारित किए गए हैं। जिन किसानों ने जितनी जमीन दी है उसका एक फीसदी जमीन इन्हें प्लॉट के रूप में दिया जाएगा। इस प्लॉट पर ये किसान छोटे दुकान या अन्य कोई व्यावसायिक कार्य आरंभ कर सकते हैं। यह प्लॉट 70 से 150 वर्ग मीटर तक का होगा। जिन किसानों के हिस्से में कम जमीन आएगी उन्हें प्लॉट के हिसाब से शेष रकम दी जाएगी।
जीआईडीसी के प्रबंध निदेशक (मार्केङ्क्षटंग) चिंतन अखानी ने कहा कि किसानों को यह आवंटन जल्द ही आरंभ हो जाएगा। अभी तक करीब 750 किसानों ने इन प्लॉट के लिए अपना आवेदन दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन किसानों को अधिगृहित के एवज में दी गई रकम के अलावा यह प्लॉट दिया जा रहा है। ऐसा भारत में पहली बार हो रहा है।
राज्य में चार जीआईडीसी में वीमैन्स पार्क
वर्ली के अनुसार राज्य की चार जीआईडीसी में महिलाओं के लिए अलग से पार्क (वीमैन्स पार्क) स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें एक पार्क साणंद जीआईडीसी में आरंभ हो गया है। इसके अलावा हालोल जीआईडीसी, भरूच के पास सायखा तथा सूरत के बारडोली-2 जीआईडीसी में यह स्थापित किया जा रहा है।
महिलाओं के लिए प्लॉट के वितरण दर में करीब 50 फीसदी राहत दी जा रही है। सामान्य रूप से 3750 रुपए प्रति वर्ग मीटर की जगह महिलाओं को 2100 रुपए प्रति वर्ग मीटर से प्लॉट आवंटन किए जाने का प्रावधान है।
एसोसिएशन का समाधान का दावा
उधर साणंद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने दावा किया कि उनका राज्य सरकार के साथ समाधान हो गया है वहीं जीआईडीसी अधिकारियों का कहना था कि यह मामला फिलहाल गुजरात उच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। एसोसिएशन ने दावा किया था कि करीब 200 एमएसएमई इकाइयां साणंद जीआईडीसी में प्लॉट पर इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं नहीं देने के कारण छोडऩे का विचार कर रही हैं। इनका कहना था कि सरकार बड़े उद्योगों को सुविधाएं दे रही हैं वहीं छोटी इकाइयां इन सुविधाओं से वंचित हैं।
122 प्लॉट सरेंडर
जीआईडीसी अधिकारियों ने माना कि बीते कुछ वर्षों में 122 प्लॉट सरेंडर किए गए हैं। जीआईडीसी साणंद-2 में 627 प्लॉट में सिर्फ 15 ही बड़े उद्योगों को आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा 612 प्लॉट एमएसएमई के लिए हैं। इनमें 108 उद्योगों ने अपना उत्पादन आरंभ कर दिया हैवहीं 103 निर्माणाधीन हैं।
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