दत्त व दातार की इस भूमि पर महाशिवरात्रि के मेले, गिरनार की लीली परिक्रमा के लिए हर वर्ष जूनागढ़ व भवनाथ में हर वर्ष 40 लाख से ज्यादा लोग आते हैं। बताया जाता है कि रोप-वे के कारण यहां आने वाले लोगों की संख्या दुगनी हो जाएगी।
वैसे तो 130 करोड़़ के इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना 1958 में राजरत्न कालिदास शेठ ने की थी। हालांकि अनेक अड़चनों के बाद इसका शिलान्यास 2007 में किया गया और अब 13 वर्ष बाद बनकर तैयार है।
8 मिनट में पहुंच सकेंगे अंबा माता मंदिर गिरनार की चोटी पर स्थित भगवान दत्तात्रेय के दर्शन के लिए 10 हजार से अधिक सीढिय़ां चढक़र जाना पड़ता था। अब इस रोप-वे के जरिए तीर्थयात्रियों, बुजुर्गों और बच्चों को रोप-वे के जरिए सीधे चोटी तक पहुंचने में आसानी रहेगी। करीब साढ़े पांच हजार सीढ़ी चढक़र अंबा माता के मंदिर का दर्शन के लिए करीब 2 से चार घंटे का समय लगता था। लेकिन अब इस रोप-वे से सिर्फ आठ मिनट में मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा। रोप-वे में 8 ट्रॉली होगी। प्रत्येक ट्रॉली में 8 लोग रहेंगे। एक घंटे में 800 लोग इससे आ जा सकेंगे। रोप-वे के लिए अलग-अलग ऊंचाई के नौ पिलर तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा अंतर छठे व सातवें पिलर के बीच है। छठे पिलर की ऊंचाई 66 मीटर से भी ज्यादा है।
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में गुजरात आने वाले पर्यटकों के लिए यह रोप-वे नया नजराना बनेगा। रोप-वे के माध्यम से गिरनार के जंगलों को देखने का आनंद पर्यावरण प्रेमियों को मिलेगा इससे राज्य के पर्यटन उद्योग को गति मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार का भी सृजन होगा।