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जन्म से नेत्रहीन शिक्षक दे रहे सैंकड़ों शिक्षकों को कंप्यूटर ज्ञान

locationअहमदाबादPublished: Sep 04, 2019 11:59:56 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

शिक्षक दिवस पर विशेष, गुजरात विश्वविद्यालय को भी दिला चुके हैं विशेष अवार्ड

जन्म से नेत्रहीन शिक्षक दे रहे सैंकड़ों शिक्षकों को कंप्यूटर ज्ञान

जन्म से नेत्रहीन शिक्षक दे रहे सैंकड़ों शिक्षकों को कंप्यूटर ज्ञान

अहमदाबाद. कहते हैं कि जब हौसले बुलंद हों तो शारीरिक कमजोरी भी आड़े नहीं आती। जन्म से नेत्रहीन 58 वर्षीय रणछोड़ पुखराज सोनी न सिर्फ विद्यार्थियों को बल्कि शिक्षकों को भी पढ़ा रहे हैं। उनका बुद्धि कौशल भी ऐसा कि देश के सोलह विश्वविद्यालयों के बीच हुई प्रतियोगिता में वे गुजरात विश्वविद्यालय को अवार्ड दिला चुके हैं। इतना ही नहीं उन्हें राज्य सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का भी अवार्ड मिल चुका है।
मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे रणछोड़ जन्म से ही नेत्रहीन हैं। उनका एक भाई और एक बहन भी नेत्रहीन हैं। रणछोड़ की पढ़ाई- लिखाई ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन (बीपीए) के ब्लाइंड स्कूल से शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से अंग्रेजी से एमए की डिग्री हासिल की। मेधावी होने के साथ-साथ दिव्यांगों को कुछ करने की इच्छा उन्हें शुरू से ही थी।
उन्होंने जिस स्कूल से पढ़ाई की उसी स्कूल में लगभग ३१ वर्ष से बीपीए संचालित सीनियर स्कूल में शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे हैं। यहां पर वे विद्यार्थियों को अंग्रेजी ही नहीं बल्कि कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं। अब तक हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा दे चुके रणछोड़ तकनीकी क्षेत्र में भी खासी रुचि रखते हैं। नेत्रहीन होने के बावजूद उन्होंने कंप्यूटर के क्षेत्र में भी काफी कुछ हासिल किया है। यही नहीं, नेत्रहीन विद्यार्थियों को कंप्यूटर से पढ़ाने की तकनीक में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नेत्रहीन विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले लगभग २०० शिक्षकों को भी उन्होंने कंप्यूटर की पढ़ाई करवाई थी।

जब गुजरात विश्वविद्यालय को मिला प्रथम पुरस्कार
बात १९९४ की है। जब पुणे में आयोजित राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में इफेक्टिव लेंग्वेज लर्निंग स्ट्रेटिज (प्रभावी भाषा सीखने की रणनीति) में रणछोड़ ने गुजरात विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया था। इसमें सामान्य स्पर्धकों के बावजूद नेत्रहीन रणछोड़ सोनी ने प्रथम पुरस्कार हासिल किया। इसके अलावा वर्ष २००१ में भी गुजरात सरकार उन्हें श्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार भी दे चुकी है।
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