वच्र्युअल तरीके से कंसल्टिंग करने वाले चिकित्सक मरीज की ब्लड प्रेशर, पल्स ऑक्सीमेट्री, शरीर का तापमान, ब्लड ग्लुकोज, एवं ईसीजी नापने के लिए डिवाइस को नियंत्रित कर सकते हैं। राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज अग्रवाल ने कहा कि भारत जैसे देश में विशेषतौर पर ग्रामीण इलाकों में अभी भी बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने चुनौतीभरा है। ऐसे हालातों में ऐसे तकनीक आधारित सोल्यूशन्स बेहतर साबित होंगे।
जीएनएलयू के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) एस. शांताकुमार ने कहा कि कैम्पस में कुशल मेडिकल ऑफिसर एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के साथ सुसज्जित हेल्थ सेन्टर है। ऐसी नई सुविधा से विद्यार्थी और कर्मचारी कैम्पस में ही किसी भी समय अपने पसंदीदा चिकित्सकों से संपर्क कर सकेंगे। इसके जरिए न सिर्फ समय बल्कि पैसे भी बचेंगे।
सार्वजनिक स्वास्थ्य की रणनीति बनाने में मददगार बनेंगे जीएनएलयू एवं आईआईपीएचजी
– एमओयू पर हुए हस्ताक्षर गांधीनगर. गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (आईआईपीएचजी) करार (एमओयू) हुआ है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य की रणनीति बनाने में मददगार बनेंगे। साथ ही प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण भी यह मददगार होंगे। जीएनएलयू के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) एस. शांताकुमार एवं आईआईपीएचजी के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर ने गांधीनगर स्थित जीएनएलयू कैम्पस में एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
जीएनएलयू के निदेशक डॉ. शांताकुमार ने कहा कि कोविड महामारी में ब्रिटिशकाल के द एपेडेमिक डिसीज एक्ट, 1897 में कई विसंगतियां सामने आई हैं। इसके चलते ही सरकार को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की मदद लेनी पड़ी। कोविड महामारी के अनुभवों से सीखकर सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना करेन के लिए कानूनी ढांचा बनाना जरूरी हो गया है।