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भारत का दर्शन भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा के ज्ञान से ही सम्भव: राज्यपाल

locationअहमदाबादPublished: Oct 27, 2020 08:29:56 pm

Governor Acharya devvrat, Sanskrit, Sanskriti, India webinar, Gujarat संस्कृत भारती गुजरात का ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और संस्कृत’ विषयक संवाद का आयोजन

भारत का दर्शन भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा के ज्ञान से ही सम्भव: राज्यपाल

भारत का दर्शन भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा के ज्ञान से ही सम्भव: राज्यपाल

अहमदाबाद. गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत देश को जानना हो तो भारतीय संस्कृति को जानना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है।
राज्यपाल ने संस्कृत भारती, गुजरात की ओर से आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति और संस्कृत के संदर्भ में अमलीकरण विषयक ऑनलाइन संवाद में यह बात कही। राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा एक ऐसी भाषा है जो मानवता का दर्शन करवाती है और सर्वकल्याण की भावना व्यक्त करती है।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने संस्कृत भाषा को जनमानस तक पहुंचाकर वैदिक संस्कृति और गुरुकुल पर परा में नए प्राण फूंके थे। आज नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत भाषा को मु य प्रवाह में शामिल करने पर बल दिया गया है। ऐसे में शाला स्तर से लेकर युनिवर्सिटी शिक्षण तक में संस्कृत भाषा को स्वीकार करना होगा। उन्होंने संस्कृत भाषा की शिक्षा इसी भाषा में प्रदान करने का अनुरोध किया।
शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव अंजु शर्मा ने गुजरात राज्य में संस्कृत शिक्षण को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य में गुजरात सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने राज्य में स्थापित संस्कृत शिक्षा बोर्ड के महत्व को दोहराया।
पद्मश्री रामकृष्ण शास्त्री ने नई शिक्षा नीति के अनुसार संस्कृत भाषा की शिक्षा में आमूल परिवर्तन के अवसरों, चुनौतियों और अमल की जानकारी प्रदान की। साथ ही, संस्कृत भाषा के साथ आधुनिक विषयों को शामिल करने पर बल दिया।
संस्कृतभारती के पश्चिम क्षेत्र के संगठन मंत्री हिमांजन पालीवाल ने संस्कृत ज्ञान पर परा के पुनरोदय के लिए नई शिक्षा नीति के दर्शन को स्पष्ट किया।
संस्कृत भारती के ट्रस्टी भाग्येश झा ने संस्कृत शिक्षा की आवश्यकता की जानकारी दी। प्रांत स पर्क प्रमुख आशीष दवे ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न युनिवर्सिटियों के उपकुलपतियों ने भी संस्कृत शिक्षा के महत्व में विश्वविद्यालय की भूमिका पर विचार- विमर्श किया।

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