उन्होंने कहा कि आज ऑर्गेनिक खेती के नाम पर बहुत कुछ हो रहा है। सभी पद्धतियों में किसानों की जेब से पैसा जाता है। एक ऐसे उपाय की जरूरत थी कि गांव का पैसा गांव में रहे और शहर का पैसा भी गांव में आए, सुभाष पालेकर ने यह मार्ग प्राकृतिक कृषि के जरिए बताया है।
उन्होंने देसी गाय के गोबर, गोमुत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी के मिश्रण से चार दिनों में तैयार होने वाले जीवामृत की खूबियां भी बतलाई। देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ जीवाणु होते हैं जो कृषि के लिए अहम हैं। जीवामृत-घन जीवामृत में ऐसे करोड़ों जीवाणु होते हैं जो फसल के साथ सहजीवन कर उसे पोषण प्रदान करते हैं।