स्टेट जीएसटी के प्रावधान को चुनौती
अहमदाबादPublished: Mar 22, 2018 11:09:40 pm
उच्च न्यायालय का महाधिवक्ता को नोटिस
अहमदाबाद. जीएसटी के मुद्दे पर व्यापारियों को अनेक प्रकार की असुविधाओं व परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में व्यापारी को उनकी इनपुट टैक्स क्रेडिट, जो वैट के कानून में मिलती थी, जीएसटी के नए कानून में कैरी फॉरवर्ड नहीं होती है। जीएसटी के नए कानून में इस प्रावधान को हटा दिया गया है। इसलिए राज्य के जीएसटी के कानूनी प्रावधान को असंवैधानिक ठहराए जाने की मांग को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है।
न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश बी.एन.कारिया की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रेल को रखी गई है।
निजी कंपनी की ओर से दायर याचिका में स्टेट जीएसटी की धारा 140 (1) के प्रावधान को असंवैधानिक ठहराए जाने की गुहार लगाई गई है। वकील विशाल दवे ने दलील दी कि वैट के कानून में किसी व्यापारी या डीलर को इनपुट टैक्स क्रेडिट कैरी फॉरवर्ड मिलने का प्रावधान था। इसके बाद जीएसटी का नया कानून लाया गया। जब जीएसटी का नया कानून लाया गया है तब पुराने प्रावधान को शामिल नहीं किया गया। इस कारण व्यापारी-डीलर को करोड़ों रुपए की क्रेडिट कैरी फॉरवर्ड नहीं मिलता। जीएसटी के ट्रेन-वन के फॉर्म में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इनपुट टैक्स क्रेडिट कैरी फॉरवर्ड नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इनपुट टैक्स क्रैडिट करदाता का अधिकार है जिससे इन्कार नहीं किया जा सकता। कानून का यह प्रावधान संविधान की धारा 279 ए से विपरीत घोषित कर असंवैधानिक ठहराया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के मुताबिक पहले वैट के कानून में डीलर की ओर से जो टैक्स भरा जाता था, उसके एवज में उन्हें टैक्स क्रेडिट मिलती थी। जीएसटी के नए कानून में इस तरह की रोक लगाई गई है। जीएसटी कानून का यह प्रावधान याचिकाकर्ता को मिले संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और गैरजरूरी रोक भी लगाता है। इसलिए संबंधित प्रावधान को असंवैधानिक ठहराया जाना चाहिए।