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GTU and SGSU Signed Mou जीटीयू और स्वर्णिम गुजरात स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी में शुरू होंगे स्पोट्र्स इंजीनियरिंग के कोर्स

locationअहमदाबादPublished: Jul 13, 2019 09:40:15 pm

दोनों ही यूनिवर्सिटियों ने मिलाया हाथ, डिप्लोमा, शॉर्ट टर्म कोर्स से होगी शुरूआत
 

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GTU and SGSU Signed Mou जीटीयू और स्वर्णिम गुजरात स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी में शुरू होंगे स्पोट्र्स इंजीनियरिंग के कोर्स

अहमदाबाद. गुजरात में खेल को बढ़ावा देने के लिए गुजरात सरकार ने ‘खेले गुजरातÓ अभियान छेड़ा हुआ है। इसमें मददरूप होने के लिए अब गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय (जीटीयू) और स्वर्णिम गुजरात स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी (एसजीएसयू) भी आगे आए हैं। दोनों ही यूनिवर्सिटियों ने खेल और खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण में मददरूप होने से जुड़े स्पोट्र्स इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए आपस में करार किया है।
जीटीयू के कुलपति डॉ. नवीन शेठ और एसजीएसयू के कुलपति डॉ. जतिन सोनी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
एमओयू के तहत स्पोट्र्स इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम दोनों ही यूनिवर्सिटियां मिलकर तैयार करेंगीं। फिलहाल डिप्लोमा और शॉर्ट टर्म कोर्स से शुरूआत की जाएगी। इसमें स्पोट्र्स इंजीनियरिंग, स्पोट्र्स मैनेजमेंट और स्पोट्र्स टेक्नोलॉजी सरीखे तीन विषयों को पढ़ाया जाएगा। फोर्स मैनेजमेंट, टर्म टेक्नोलॉजी, स्पोट्र्स ग्राउंड डेवलपमेंट, सिन्थेटिक ट्रेक डेवलपमेंट, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम सरीखे विषयों को भी पढ़ाया जाएगा। इन कोर्स को पढऩे वाले विद्यार्थियों को नौकरी दिलाने के लिए कैंपस प्लेसमेंट भी कराया जाएगा।
क्या है स्पोट्र्स इंजीनियरिंग
स्पोट्र्स इंजीनियरिंग तेजी से उभरता क्षेत्र है। इसमें विभिन्न खेलों से जुड़़े उपकरणों को डिजाइन करने, उनका प्रोडक्शन करने, फेसिलिटी और परफोर्मेंस मेजरमेंट उपकरणों को विकसित करने पर बल दिया जाता है।
दोनों विवि मिलकर तैयार करेंगे कोर्स
जीटीयू की टेक्नोलॉजी की शिक्षा में विशेषज्ञता है, जबकि एसजीएसयू की स्पोट्र्स के क्षेत्र में। ऐसे में दोनों ही विश्वविद्यालय मिलकर स्पोट्र्स इंजीनियरिंग कोर्स डिजाइन करेंगे ताकि राज्य और देश में स्पोट्र्स को बढ़ावा दे सकें।
-डॉ. जतिन सोनी, कुलपति, एसजीएसयू
खेल को बल के साथ रोजगार को भी बढ़ावा
स्पोट्र्स से जुड़े कई उपकरणों को विदेशों से मंगाना पड़ता है। इस करार के पीछे का उद्देश्य देश में ही अच्छी तकनीक को विकसित करना है, ताकि देश में ही उपकरणों का उत्पादन शुरू हो। ऐसा होने पर खेल को तो बल मिलेगा ही, रोजगार के भी अवसर बढ़ें।
-डॉ.नवीन शेठ, कुलपति, जीटीयू

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