अहमदाबाद

GU researcher team gets Patent टीबी के जीवाणु को सरलता से पहचानने वाली डाई बनाने पर जीयू शोधार्थियों को मिला पेटेन्ट

अब किट का प्रोटोटाइप तैयार कर उसके पेटेन्ट पाने को भी किया है आवेदन, 20 वर्ष तक मान्य रहेगा पेटेन्ट

अहमदाबादJul 19, 2019 / 10:25 pm

nagendra singh rathore

GU researcher team gets Patent टीबी के जीवाणु को सरलता से पहचानने वाली डाई बनाने पर जीयू शोधार्थियों को मिला पेटेन्ट

अहमदाबाद. टीबी के जीवाणु को सरलता से पहचानने वाली फ्लोरोसेन्ट डाई बनाने पर गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) के शोधार्थियों की टीम को पेटेन्ट मिला है। जीयू के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर हितेश पटेल एवं उनके रिसर्च स्कॉलर डॉ. राजेश वेकरिया एवं डॉ. धनजी राजाणी ने वर्ष २०१४ में माइक्रो केयर लेबोरेटरी एवं टीबी रिसर्च सेंटर सूरत के सहयोग से जीवाणु को सरलता से पहचानने के लिए लेबोरेटरी में यह फ्लोरोसेन्ट डाई बनाई। इस डाई का उपयोग जीवाणु के परीक्षण के लिए होता है। इस शोध के जरिए टीबी के बारे में प्रभावी तरीके से जल्द पहचाना जा सकेगा।
वर्ष २०१५ में शोधार्थियों की टीम ने इस डाई को बनाने पर पेटेन्ट फाइल किया था। इस पर भारतीय पेटेन्ट आफिस की ओर से गत १८ जुलाई को इस टीम को इस डाई को विकसित करने पर पेटेन्ट जारी किया गया है। यह पेटेन्ट अगले २० वर्षों तक मान्य रहेगा। इसके सभी राइट्स (अधिकार) जीयू के शोधार्थियों की टीम के पास रहेंगे।
इस टीम ने डाई को बनाने के बाद किट का प्रोटोटाइप भी तैयार किए हैं। इससे जुड़़े भी दो पेटेन्ट फाइल किए हैं। किट के मटीरियल एवं ज्यादा शोध के लिए जीयू एवं जीयूएसईसी (जीयूसेक) की ओर से आर्थिक मदद भी की गई है।
इस टीम का मुख्य उद्देश्य टीबी को जड़ से जल्द मिटाने के लिए औषधि विकसित करने के लिए टीबी को पहचानने वाली प्रक्रिया को सरल और सुलभ और सस्ता करना है। टीबी के साथ मल्टी ड्रग रेजिस्टन्ट टीबी के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस क्षेत्र में भी शोध की जा रही है।

शोधार्थियों के चलते जीयू को मिली नई ऊंचाई

जीयू के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हितेश पटेल एवं उनके रिसर्च स्कॉलर्स की इस डाई की शोध के चलते मिले पेटेन्ट के चलते गुजरात विश्वविद्यालय को शोध के क्षेत्र में नई ऊंचाई मिली है। यह अन्य शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरक साबित होगी।
-प्रो.हिमांशु पंड्या, कुलपति, जीयू

किट के रूप में पहुंचाने की कोशिश
टीबी को आसानी से पहचाना जा सके ऐसी किट विकसित करने की कोशिश भी की जा रही है। ताकि आम व्यक्ति भी महज लार एवं यूरिन के जरिए परख सके कि उसे टीबी है या नहीं। जीयू के कैमिस्ट्री डिपार्टमेंट में पहली बार किसी शोध पर पेटेन्ट मिला है। यह शोधार्थी टीम के लिए गर्व का विषय है।
-प्रो.हितेश पटेल, प्रोफेसर, कैमिस्ट्री विभाग, जीयू

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