प्रभारी मुख्य न्यायाधीश अनंत एस दवे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यह राज्य सरकार का गैर प्रशासन है। जो शेर देखना चाहते हैं कि वे धारी, आंबरडी और पालीताणा जाकर देख सकते हैं। एक बारगी तो खंडपीठ ने यह भी कह दिया कि राज्य सरकार यदि सफारी पार्क आरंभ करना चाहती है तो फिर नेशनल बोर्ड से इसकी मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से गिर में भी शेर दर्शन के लिए पर्यटन उद्योग आरंभ करने को लेकर चल रहे प्रयासों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर खंडपीठ ने टिप्पणी की कि हमारे नागरिक विदेशी पर्यटक जितने संवेदनशील नहीं हैं। जहां मर्जी आए वहीं पर प्लास्टिक का थैला सहित कचरा जंगल क्षेत्र में फेंका जाता है। आज भी इस इलाके में पान मसाला के पाउच, प्लास्टिक की थैलियां सहित कचरे रास्ते पर फेंके जाते हैं। इस संबंध में ग्राम पंचायत भी कोई कार्रवाई नहीं करती।