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लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए हार्दिक पटेल की याचिका पर गुजरात सरकार से मांगा जवाब

locationअहमदाबादPublished: Mar 15, 2019 11:05:03 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

-विधायक कार्यालय तोडफोड़-आगजनी प्रकरण में दोषी ठहराए जाने को स्थगित करने की लगाई है गुहार

Hardik Patel, Gujarat high court

लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए हार्दिक पटेल की याचिका पर गुजरात सरकार से मांगा जवाब

अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने पाटीदार नेता से बने कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है।
हार्दिक पटेल ने तोडफ़ोड़ और आगजनी प्रकरण में उन्हें 2 वर्ष की सजा के लिए दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है जिससे वे लोकसभा का चुनाव लड़ सके।
इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ए जी उरेजी ने राज्य सरकार से इस मामले से जुड़े सभी मुद्दों पर शपथ पत्र पेश करने को कहा। राज्य सरकार ने इस मामले में समय की मांग की। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह शपथपत्र अगली सुनवाई से एक दिन पहले यानी 18 मार्च तक पेश करने और याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।
हार्दिक को जुलाई 2018 में मेहसाणा जिले के विसनगर के विधायक कार्यालय के तोडफोड़ व दंगा मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके खिलाफ सजा के खिलाफ दायर अपील याचिका पर उच्च न्यायालय पहले ही रोक लगा चुका है।
हार्दिक के वकील रफीक लोखंडवाला के मुताबिक उच्च न्यायालय ने हार्दिक की दो वर्ष की सजा को स्थागित करते हुए अपील याचिका स्वीकार ली थी, लेकिन दोषी ठहराए जाने को स्थगित नहीं किया था। अब हार्दिक की ओर से उसे निचली अदालत के इस मामले में दोषी ठहराए जाने को स्थगित करने की गुहार लगाई गई है जिससे वह लोकसभा का चुनाव लड़ सके।
हार्दिक की ओर से दायर याचिका में यह कहा गया है कि वे लोकसभा का चुनाव लडऩा चाहते हैं, लेकिन इस मामले में दोषी ठहराए जाने को स्थगित नहीं करने से वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत वे फिलहाल यह चुनाव नहीं लड़ सकते।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार किसी भी मामले में दो वर्ष की सजा मिलने पर कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (3) के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराध के लिए दो वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य घोषित हो जाता है। साथ ही संबंधित व्यक्ति छह वर्ष के बाद ही चुनाव लड़ सकता है।

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