अहमदाबाद

Gujarat: कोरोना के बावजूद अलंग के शिप ब्रेकिंग उद्योग में तेजी के आसार

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अहमदाबादJul 09, 2020 / 11:44 pm

Uday Kumar Patel

Gujarat: कोरोना के बावजूद अलंग के शिप ब्रेकिंग उद्योग में तेजी के आसार

उदय पटेल
अहमदाबाद. कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन के कारण जहां दुनिया भर में उद्योगों में मंदी छाई है वहीं गुजरात समुद्र में जहाजों को तोड़कर देश की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती दे रहा है। गुजरात के अलंग स्थित समुद्र तट पर दुनिया भर से कबाड़ हो चुके समुद्री जहाज आते हैं, जिन्हें तोड़कर नई चीजें बनाकर करीब 6000 करोड़ रुपए का व्यापार गुजराती करते हैं। यह उद्योग देश के लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार देता है।
कोरोना के कारण हुई मंदी में जहां मार्च महीने में यहां पर सिर्फ 7 जहाज टूटने के लिए आए थे वहीं अप्रेल महीने में यह संख्या सिर्फ 5 रह गई थी। मई महीने में भी सिर्फ 5 ही जहाज अलंग में टूटने आए, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद जून महीने में 30 जहाज यहां पर आए। और जुलाई में भी करीब 30 जहाज आएंगे, जिनमें से 15-17 जहाजों के लिए डील हो चुकी है।

श्रमिक भी लौटे

शिप रिसाइकिंलिंग उद्योग में लॉकडाउन के चलते बिहार, यूपी, झारखंड सहित कुछ राज्यों के श्रमिक अपने घर लौट गए थे लेकिन अब धीरे-धीरे ये श्रमिक वापस लौट रहे हैं। श्रमिक यदि ज्यादा संख्या में आते हैं तो इस उद्योग को काफी लाभ पहुंचेगा। उद्योगपतियों ने सरकार से मांग भी की है कि मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
अभी कई इकाइयों में काम होना शेष

फिलहाल अलंग में करीब ड़ेढ सौ प्लॉट (उद्योग) हैं जिनमें फिलहाल 90 प्लॉट पर ही काम जारी है। यहां पर दुनिया भर से जहाज टूटने के लिए आते हैं। अलंग में प्रति वर्ष 6 हजार करोड़ का व्यापार होता है। हालांकि अलंग को बांगलादेश और पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्की के शिप ब्रेकिंग उद्योग से थोड़ी चुनौती मिल रही है, लेकिन अब भी अलंग का ही वर्चस्व है।
जहाज का स्क्रेप रोलिंग मिल और फर्नीचर इंडस्ट्री में उपयोग आता है। इससे सरिया भी बनाया जाता है। यह माल गुजरात के साथ-साथ पंजाब, राजस्थान, एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित पूरे देश में जाता है।
“वैसे तो दुनिया भर के हरेक उद्योग में मंदी छाई है, लेकिन आशा है कि इस इंडस्ट्री में भी तेजी आएगी। बशर्ते श्रमिक अच्छी संख्या में हों। हालांकि श्रमिकों की कमी और 2 महीने तक रहेगी। पहले इतने जहाज उपलब्ध नहीं थे, अब कोरोना के कारण कार्गो की समस्या के कारण स्क्रैपिंग के लिए जहाज उपलब्ध हो रहे हैं। जहाज के भाव भी कम हुए हैं। हालांकि मार्केट में डिमांड भी जरूरी है। उधर, सरकार सीमित संसाधन में काम कर रही है।”
विष्णु गुप्ता, अध्यक्ष, शिप रिसाइकिंलिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसआरआईएए)

“यह पूरी तरह श्रम आधारित उद्योग है जिसमें कटिंग के साथ-साथ लोडिंग, अनलोडिंग का काम ज्यादा होता है। इसलिए श्रमिकों की ज्यादा जरूरत है।”
रमेश मेंदपरा, उपाध्यक्ष, शिप रिसाइकिंलिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसआरआईएए)

“कोरोना काल के कारण लॉकडाउन के बाद शिप ब्रेकिंग उद्योग अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। फिलहाल श्रमिकों की संख्या काफी कम है।
श्रमिक आएंगे तो और इस उद्योग को ज्यादा लाभ मिल सकता है।”
रूबल बंसल, प्लॉट मालिक

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