मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायाधीश बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि कानून में पहले विवाह शब्द का उल्लेख ही नहीं था। इसे बाद में जोड़ा गया। इसलिए कोर्ट ने विवाह से होने वाले धर्मान्तरण के लिए धारा 5 के तहत अथॉरिटी से पहले मंजूरी लेने के प्रावधान पर रोक लगाई है। यदि कोई अविवाहित हो और वह स्वेच्छा से धर्मान्तरण करने का इच्छुक हो तो इसके लिए आवश्यक पूर्व मंजूरी ली जा सकती है।
राज्य सरकार ने इसे तर्कसंगत नहीं बताते हुए इस पर रोक हटाने की मंाग की थी हालांकि हाईकोर्ट अपने रूख पर कायम रहा और राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने दलील दी कि हाईकोर्ट के रोक लगाने के परिणामस्वरूप जो व्यक्ति स्वेच्छा से धर्मान्तरण करना चाहता हो तो उसे पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत ही नहीं होगी। जो पहले के कानून में जरूरी था। सरकार ने अंतरधर्मी विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। विवाह यदि कानूनी तो भी मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है।
राज्य सरकार ने इसे तर्कसंगत नहीं बताते हुए इस पर रोक हटाने की मंाग की थी हालांकि हाईकोर्ट अपने रूख पर कायम रहा और राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने दलील दी कि हाईकोर्ट के रोक लगाने के परिणामस्वरूप जो व्यक्ति स्वेच्छा से धर्मान्तरण करना चाहता हो तो उसे पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत ही नहीं होगी। जो पहले के कानून में जरूरी था। सरकार ने अंतरधर्मी विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। विवाह यदि कानूनी तो भी मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है।