कोटवाल विधानसभा में कांग्रेस से सचेतक रह चुके हैं, लेकिन जब से नेता प्रतिपक्ष में बदलाव हुआ है। इसके बाद से उनकी नाराजगी सामने आ रही है। विधानसभा सत्र के दौरान भी कुछ समय के लिए सत्र की कार्रवाई से शामिल नहीं हुई। जब उनकी नाराजगी की सुर्खियां मीडिया में चली तो वे बाद में सदन की कार्रवाई में पहुंचे थे। यदि कोटवाल कांग्रेस छोड़ते हैं उनके साथ कई समर्थक भी कांग्रेस छोड़ सकते है।
इससे पूर्व भी कांग्रेस के प्रवक्ता रहे जयराजसिंह परमार, कांग्रेस से विधायक रहे इन्द्रनील राज्यगुरू ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर चुके हैं। जयराजसिंह भाजपा में शामिल हो चुके हैं और इन्द्रनील राज्यगुरू आप पार्टी में शामिल हो गए।
इन नेताओं का भविष्य हो सकता है अधर में उधर, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विधायक बने कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था, लेकिन अब यदि इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा नो-रिपीट थियरी अपनाती है तो कई नेताओं का भविष्य अधर में हो सकता है। जसदण से कुंवरजी बावलिया, माणावदर से जवाहर चावडा, राधनपुर से अल्पेश ठाकोर, बायड से धवलसिंह झाला, ध्रांगध्रा परसोत्तम साबरिया, धारी से जे.वी. काकडिया, लींबडी से सोमा गांडा, गढडा से प्रवीण मारू, अबडासा से प्रद्युम्नसिंह जाड़ेजा, डांग से मंगल गावित, मोरबी से ब्रिजेश मेरजा, कपराडा से जीतू चौधरी, और करजण से अक्षय पटेल हैं, जो भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कुंवरजी बावलिया, जवाहर चावड़ा भाजपा का दामन थामने के बाद मंत्री बने थे, लेकिन नई सरकार बनने के बाद उनकी मंत्री पद छिन गया।हालांकि ब्रिजेश मेरजा और जीतू चौधरी मौजूदा भाजपा सरकार में मंत्री है। अल्पेश ठाकोर, धवलसिंह झाला कांग्रेस छोडऩे के बाद विधानसभा उप चुनाव में हार चुके है।