इन ऊंटों की संख्या घटने का कारण में बताया गया कि कई वर्षों से ऊंट का उपयोग मालवाहक पशु के तौर पर किया जाता है। इस हिसाब से गुजरात में ऊंट पालन मालधारी व पशुपालक करते हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर माल ले जाने में ऊंट का उपयोग करते है, लेकिन अब समय के साथ बदलाव आया है और माल परिवहन के लिए वाहनों की उपयोग बढ़ा है। इसके चलते माल परिवहन के लिए ऊंटों का उपयोग घटा है। इसके चलते ही ऊंटों की संख्या में कमी आई है।
हालांकि ऊंटों की देखभाल के लिए पशुपालन विभाग की ओर से राज्य में ऊंटों में होने वाली बीमारियों का उपचार करने के लिए योजना लागू है। इसके तहत ऊंटों में पाए जान वाले जानलेवा ‘सुर्राÓ एवं खस निवारण के लिए स्थानीय स्तर पर नि:शुल्क उपचार शिविरों लगाए जाते हैं। इस योजना के जरिए वर्ष 2018-19 में 21,987 ऊंटे और वर्ष 2019-20 में 24,238 ऊंटों का उपचार किया गया।
पशुपालन विभाग के अधीनस्थ कच्छ के ढोरी गांव में ऊंट पालन केन्द्र कार्यरत है, जहां वैज्ञानिक तरीके से ऊंटों का पालन किया जाता ताकि ऊंटों की संख्या में बढ़ोतरी हो। अच्छी नस्ल वाले ऊंटों को सीमा सुरक्षा बल, पुलिस विभाग और ऊंट पालकों को नीलामी के जरिए उपलब्ध कराए जाते है।