scriptसीआरपीएफ के दस जवानों की हत्या का वांछित नक्सली वापी से गिरफ्तार | Gujarat ATS arrests Naxal commander from vapi | Patrika News

सीआरपीएफ के दस जवानों की हत्या का वांछित नक्सली वापी से गिरफ्तार

locationअहमदाबादPublished: Nov 23, 2018 06:00:20 pm

बिहार सरकार ने रखा है ५० हजार का इनाम, ५० मामलों में वांछित,नाम बदल सिक्योरिटी गार्ड एवं श्रमिक बन छिपा था, 16 साल से सक्रिय

Naxal commander Rajesh

सीआरपीएफ के दस जवानों की हत्या का वांछित नक्सली वापी से गिरफ्तार

अहमदाबाद. गुजरात की धरती से एक बार फिर नक्सली को गिरफ्तार किया गया है। दो साल पहले वर्ष २०१६ में बिहार के औरंगाबाद जिले में सीआरपीएफ जवानों पर हमला कर 10 जवानों की हत्या करने के मामले में वांछित नक्सली राजेश उर्फ गोपाल प्रसाद उर्फ उत्तम मोची उर्फ राजेश रविदास(33) को गुजरात एटीएस ने शुक्रवार को वलसाड़ जिले के वापी से गिरफ्तार किया है।
नक्सलवाद, वसूली, हत्या सरीखे देश विरोधी प्रवृत्ति के 50 मामलों में वांछित राजेश पर बिहार सरकार ने ५० हजार रुपए का इनाम रखा है। ये16 सालों से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य है।
गुजरात एटीएस का कहना है कि राजेश बिहार के गया जिले के नीमचकबथानी के बहोरमा गांव का रहने वाला है। वर्ष २०१६ में राजेश ने अनिल यादव, चंदन नेपाली व अन्य माओवादियों (नक्सलियों) के साथ मिलकर बिहार के औरंगाबाद के जंगलों में घात लगाकर किए हमले में सीआरपीएफ के दस जवानों की निर्दयता से हत्या कर दी थी। एलईडी ब्लास्ट करके एवं ऑटोमैटिक हथियारों से हमला कर हत्या की गई थी।
मार्च-१७ में कोब्रा बटालियन की कार्रवाई में गली थी गोली
नक्सली राजेश सहित अन्य नक्सलियों की सीआरपीएफ जवानों की हत्या में लिप्तता का पता चलने पर कोब्रा बटालियन की ओर से मार्च-२०१७ में गया जिले के गुरपाना जंगल में माओवादियों के इकट्ठा होने की सूचना पर कार्रवाई की गई। उसमें चार नक्सलवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया था, जबकि राजेश के हाथ में गोली लगी थी, फिर भी वो वहां से भागने में सफल रहा।
दमन में सिक्योरिटी गार्ड, वापी में श्रमिक बन छिपा
गुजरात एटीएस के अनुसार बिहार से फरार होने के बाद राजेश दमण पहुंचा। यहां उसने खुद की पहचान गोपाल प्रसाद बताई और सिक्योरिटी गार्ड बन गया। उसके बाद वह वलसाड़ जिले के वापी पहुंचा। यहां कारखाने में श्रमिक के रूप में काम कर छिपा था।
नक्सलियों की मदद से २००२ में जमीन विवाद सुला कर जुड़ा
एटीएस की मानें तो वर्ष २००२ में राजेश ने महज 17 साल की आयु में पारिवारिक जमीन विवाद में स्थानीय प्रशासन से नाराज होकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उस समय के मुखिया लोहासिंह और भोला मांजी से संपर्क किया। उनकी मदद से जमीन विवाद सुलझाया और फिर खुद भी सक्रिय हो गया। वो एके-47, एसएलआर, इंसास राइफल, हैन्ड ग्रेनेड जैसे हथियारों को चलाना जानता है। उसने नक्सलियों के साथ मिलकर सुरक्षाबल के जवानों की हत्या करनी शुरू कर दी। माओवादी संगठन को मजबूत बनाने लगा। स्थानीय ठेकेदारों, उद्यमियों से उगाही शुरू कर दी।
उसके काम से खुश होकर राजेश को माओवादी संगठन के बिहार-झारखंड (मगध) के स्पेशल एरिया कमेटी के इंचार्ज प्रद्युम्न शर्मा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) में जोनल कमांडर बना दिया। यह शर्मा का दाहिना हाथ माना जाता है। शर्मा के संगठन में इसका अहम पद है। देश विरोधी गतिविधि से जुड़े ५० मामलों में लिप्तता के चलते बिहार सरकार ने इस पर ५० हजार का इनाम घोषित किया है। इससे पहले भी गुजरात में नक्सलियों के पकड़े जाने की घटनाएं सामने आई हैं।
ATS Gujarat
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो