अहमदाबाद

लेडी सिंघम के आगे कुख्यात जुसब बन गया था भीगी बिल्ली, बोला जो कहो वही करूंगा

गुजरात एटीएस महिला पीएसआई टीम का तड़के जंगल में ऑपरेशन,एक घंटे तक जंगल में चले पैदल, सुबह होने का किया इंतजार

अहमदाबादMay 11, 2019 / 09:47 pm

nagendra singh rathore

लेडी सिंघम के आगे कुख्यात जुसब बन गया था भीगी बिल्ली, बोला जो कहो वही करूंगा

नगेन्द्र सिंह
अहमदाबाद. हाल ही में कुख्यात अपराधी जुसब सांध को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे धकेलने वालीं गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते की लेडी सिंघम (महिला पीएसआई) देखने में भले ही सीधी सादी आम युवतियों की तरह दिखाई देती हों। लेकिन ये कई प्रकार के हथियार चलाने में माहिर हैं। हाथों से ही अपराधियों को धूल चटाने में प्रशिक्षित यह महिला ऑफिसर आगे भी कई और अपराधियों को जमीन सुंघाने की तैयारी में हैं।
राजस्थान पत्रिका ने इनसे विशेष मुलाकात की। जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया।
२०१० बैच की पीएसआई नितमिका गोहिल ने बताया कि जुसब के बोटाद जिले के जंगल में छिपे होने की सूचना मिलने पर ही देर रात ही अहमदाबाद से बोटाद के लिए निकले थे। आरोपी जंगल में घोड़ी और बाइक से छिपने और ओझल होने में माहिर है,जिससे उसे देर रात ही घेर लिया। फिर सुबह होने का एक घंटे से ज्यादा तक इंतजार किया। जैसे ही उजाला हुआ उसे धर दबोचा। आरोपी के पुलिस पर भी फायरिंग करने की जानकारी थी, जिससे यदि वह फायरिंग करता तो जवाब देने की पूरी तैयारी थी। हथियार लैस वे और उनकेसाथी लैस थे। भावनगर जिला निवासी नितमिका बीए, एलएलबी तक पढ़ीं हैं। पिता जी.एच.गोहिल पीआई से सेवानिवृत्त हैं। सो बचपन से ही तमन्ना पीएसआई बनने की थी।
वर्ष २०१३ बैच की पीएसआई शकुंतला मल ने बताया कि आरोपी जंगल में जहां छिपा था वहां वाहन पहुंच नहीं सकते थे। सो पूरी टीम करीब एक घंटे तक जंगल में पैदल चलकर मौके पर पहुंची। जुसब ने खुद को चारों तरफ से घिरा देख वह भीगी बिल्ली बन गया। भागना तो दूर बोला जो बोलो वही करूंगा। दाहोद जिला निवासी शकुंतला ने जीयू भवन से एमएससी की है। नाना कलजी तावियाड़ पीएसआई थे। उनसे प्रेरित होकर पीएसआई बनने का सोचा और सफल हुईं। पिता सळूभाई, मां केसरबेन दोनों ही शिक्षक हैं।
देवभूमिद्वारका जिला निवासी २०१३ बैच की ही महिला पीएसआई संतोक ओडेदरा बताती कि जिस अपराधी को पकडऩा दिन में भी मुश्किल था उसे पकडऩे के लिए जब रात में ऑपरेशन करना पड़ा तो सब बातों का ध्यान रखा कि कहीं जंगल में चलते समय पत्तों की आवाज या पत्थरों पर पैर पडऩे से होने वाली आहट से वह भाग ना जाए। ऑपरेशन की सफलता के बाद जब एटीएस डीआईजी हिमांशु शुक्ला को आरोपी का फोटो और ऑपरेशन की सफलता का मैसेज भेजा तो उन्होंने ना सिर्फ शाबाशी दी बल्कि बधाई भी दी। इससे खुद का भी हौंसला बढ़ा कि कोई भी बड़ा ऑपरेशन करने में उन्हें सफलता हाथ जरूर लगेगी। परिवार में वह पहली सदस्य हैं जो पुलिस में हैं। बचपन में पास के गांव में एक महिला कांस्टेबल बनी थी। उसे देख बचपन से ही पीएसआई बनने की ठानी। इससे पहले वे डेढ़ साल रेवन्यु तलाटी फिर डेढ़ साल सेल टैक्स विभाग में नौकरी कर चुकी हैं। २०१३ में पीएसआई में चयन होने पर नौकरी छोड़ पीएसआई बन गईं। बीए, एमजेएमसी तक पढ़ी हैं।

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