सीबीआइ ने आरोपपत्र में यह बताया है कि जांच के दौरान आरोपी अधिकारी व सुरेन्द्रनगर के तत्कालीन कलक्टर के निर्देश पर मेमण के खाते में कथित रिश्वत की राशि के रूप में 98 हजार रुपए जमा कराए गए। यह रकम रिश्वत का हिस्सा थी जिसकी मांग राजेश ने की थी। सीबीआइ के मुताबिक रफीक ने निजी व्यक्ति के नाम पर चार फर्जी बिल तैयार किए थे जिसमें यह दावा किया गया कि उसने ड्रेस मटीरियल बेचा है जबकि यह चार बिल किसी अन्य और ‘सर’ के नाम पर थे। यह बिल मेमण ने जांच एजेंसी को सौंपे जिसे राजेश को बचाने के लिए उसने अपने कंप्यूटर से फर्जी रूप से तैयार किया था।
जांच में यह भी पाया गया कि दोनों आरोपी षडयंत्र का हिस्सा थे जिसके तहत आरोपी अधिकारी की ओर से रिश्वत की मांग की जाती थी जिसे राजेश के निर्देश पर अन्य लोग यह रकम रफीक के खाते में जमा करवाते थे।
सीबीआइ ने गत मई महीने में मेमण और पिछले दिनों राजेश को गिरफ्तार किया था। 36 वर्षीय राजेश वर्ष 2011 बैच के आइएएस अधिकारी हैं जो अब तक गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात थे। उन्हें पिछले दिनों निलंबित कर दिया गया।
सीबीआइ की ओर से दर्ज की गई शिकायत में यह कहा गया कि आरोपी अधिकारी ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए पुलिस की नेगेटिव रिपोर्ट के बावजूद गैरकानूनी रूप से 271 हथियारों का लाइसेंस जारी किया। इतना ही नहीं, आरोपी ने सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से आवंटित कर इसमें भी घोटाला कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की है।
जांच में यह भी पाया गया कि दोनों आरोपी षडयंत्र का हिस्सा थे जिसके तहत आरोपी अधिकारी की ओर से रिश्वत की मांग की जाती थी जिसे राजेश के निर्देश पर अन्य लोग यह रकम रफीक के खाते में जमा करवाते थे।
सीबीआइ ने गत मई महीने में मेमण और पिछले दिनों राजेश को गिरफ्तार किया था। 36 वर्षीय राजेश वर्ष 2011 बैच के आइएएस अधिकारी हैं जो अब तक गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात थे। उन्हें पिछले दिनों निलंबित कर दिया गया।
सीबीआइ की ओर से दर्ज की गई शिकायत में यह कहा गया कि आरोपी अधिकारी ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए पुलिस की नेगेटिव रिपोर्ट के बावजूद गैरकानूनी रूप से 271 हथियारों का लाइसेंस जारी किया। इतना ही नहीं, आरोपी ने सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से आवंटित कर इसमें भी घोटाला कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की है।