उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यावरण शुद्धता की बनी रहे और प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ विकास की गति भी बनाए रखना ही राज्य सरकार का दृष्टिकोण है। इसके लिए राज्य में सीएनजी और पीएनजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो ऐसा आयोजन करने को लेकर राज्य सरकार कटिबद्ध है। ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना करना जीरो टोलरेंस के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संतुलन और विकास की गति को बरकरार रखना है। सीएनजी वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो और प्रदूषण रोकने के लिए पेट्रोल-डीजल के ईंधन के विकल्प के तौर पर सीएनजी को प्रोत्साहन देने की गुजरात ने पहल कर सीएनसी स्टेशन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
रुपाणी ने कहा कि जहां गुजरात में 23 वर्ष में 542 सीएनजी स्टेशन थे। जबकि पिछले दो वर्षों में ही 384 सीएनजी स्टेशस कार्यरत कर दिए। सीएनजी सहभागी योजना प्रारंभ कर 300 सीएनजी स्टेशन प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मौजूदा समय में 384 स्टेशन राज्य में हो गए। देश में 2300 सीएनजी फिलिंग स्टेशन हैं उसकी तुलना में अकेले गुजरात में ही 690 सीएनजी स्टेशन हैं मतलब कि 30 फीसदी स्टेशन हैं। राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीएनजी स्टेशन स्थापित करना है ताकि वाहन चालकों को सीएनजी के लिए लम्बी कतारें नहीं लगाना पड़े ऐसी स्थिति का निर्माण हो रहा है।
उन्होंने विश्वास जताया है कि आगामी दिनों में राज्यभर में 900 सीएनजी स्टेशन कार्यरत करने का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। उन्होंने गुजरात गैस कंपनी लिमिटेड और साबरमती गैस लिमिेटड को बुनियादी और क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया।
इस मौके पर ऊर्जा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुनयना तोमर ने सीएनजी सहभागी योजना की विस्तृत रूपरेखा पेशकर स्वागत भाषण किया। इस अवसर पर मुख्य मंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव और उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एम.के. दास, जीएसपीसी के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार, गुजरात गैस और साबरमती गैस लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने सांकेतिक तौर पर पांच लाभार्थियों को लेटर ऑफ इन्टेन्ट अर्पित किए। जीएसपीसी के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार ने आभार जताया।