उन्होंने कहा कि गुजरात के पांच लाख फिक्स वेतनभोगियों के हित में भजापा सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लेनी चाहिए। राज्य के ज्यादा विभागों में सेवानिवृत्त लोगों की नियुक्तियां हो रही हैं। हर वर्ष दो करोड़ नए रोजगार देने के दावे किए गए थे, लेकिन एक वर्ष में सिर्फ 1.38 लाख ही रोजगार दिए गए। जीएसटी के अमलीकरण की विफलता से लघु एवं मध्यम उद्योग नष्ट हो गए। छोटे उद्योग बंद होने से गुजरात में 20 लाख लोगों के रोजगार छिन गए। पिछले 16 वर्ष में गुजरात में नौकरी नहीं मिलने अथवा नौकरियां छूटने से 3270 युवाओं ने आत्महत्या कर ली। गुजरात में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक विकास के खोखले दावे ही हैं।