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‘जसदण के प्रत्याशी पर 28 तक लग जाएगी मुहर’

locationअहमदाबादPublished: Nov 23, 2018 10:15:42 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

कार्यकर्ताओं को सौपी बूथों की जिम्मेदारी

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‘जसदण के प्रत्याशी पर 28 तक लग जाएगी मुहर’

राजकोट/अहमदाबाद. जसदण के विधायक कुंवरजी बावलिया के कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल थामने के बाद इस सीट पर दिसम्बर में उपचुनाव होने हैं। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। बावलिया को उनके गढ़ में शिकस्त देने को कांग्रेस भी माइक्रो प्लानिंग कर रही है। इसके चलते ही शुक्रवार को राजकोट के नागर बोर्डिंग में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने बैठक की, जिसमें कांगे्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बूथों की जिम्मेदारी सौंपी गई। अमित चावड़ा ने संकेत दिए कि जसदण उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी पर 28 नवम्बर तक मुहर लग जाएगी।
चावड़ा ने कहा कि किसी भी शोर-शराबे के बगैर इस चुनाव में कांग्रेस साइलेंट कीलर के तौर पर उभरकर सामने आएगी। भाजपा को शिकस्त देने पर कांग्रेस कोई भी कोरकसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने दावा किया कि जसदण उपचुनाव में हम जीतकर दिखाएंगे। यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। कांग्रेस में होने की वजह से मतदाता कुंवरजी बावलिया को वोट देते थए। गुरुवार से ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। विधायक पूंजाभाई वंश, वीरजी ठुम्मर, सोमाभाई की अगुवाई में सौराष्ट्र के विधायक एवं प्रदेश नेताओं को प्रत्येक जिला पंचायत और तहसील पंचायत के हिसाब से जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक सवाल के जवाब में चावड़ा ने कहा कि चार प्रत्याशियों के नाम दिल्ली आलाकमान को भेज दिए गए हैं। संभवत: 28 नवम्बर को प्रत्याशी घोषणा हो जाएगी।
किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस का धरना प्रदर्शन
किसानों की कर्ज माफी को लेकर गुरुवार को गुजरात कांग्रेस के बैनर तले राज्यभर में धरना प्रदर्शन किया गया। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा और पूर्व अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी ने आणंद में अमूल डेयरी के साथ धरना-प्रदर्शन किया। अहमदाबाद के साणंद में किसानों ने सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराने को लेकर प्रदर्शन किया और तहसीलदार को ज्ञापन दिया। इसके अलावा वडोदरा, राजकोट, अमरेली समेत अलग-अलग जिलों में कांग्रेस ने धरना-प्रदर्शन किया और तहसीलदारों को ज्ञापन दिया। कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में बिजली और जलापूर्ति मुहैया कराने में राज्य सरकार विफल रही है। किसानों को फसलों के पर्याप्त दाम नहीं मिलते। गुजरात में किसानों की आत्महत्या के किस्से बढ़ रहे हैं। राज्य के ज्यादातर इलाकों में अकाल जैसे हालात हैं। किसानों की हालात बदहाल हो रही हैं। जहां महंगा पशुधाना और घासचारा है वहीं दूध के दामों में गिरावट से पशुपालकों की हालत भी खस्ता हो रही है।

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