राज्य के नर्मदा समेत सभी प्रमुख 207 बांधों में जल संग्रह की क्षमता 25262.29 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है, इसके मुकाबले फिलहाल 14715.52 एमसीएम पानी शेष रहा गया है। यह कुल क्षमता का 58.25 फीसदी है। सबसे बड़े नर्मदा बांध की स्थिति भी फिलहाल अच्छी है। 9460 एमसीएम पानी की क्षमता वाले इस बांध में फिलहाल 5869.13 एमसीएम पानी है, जो 62 फीसदी से ज्यादा है। बांध की कुल ऊंचाई 138.68 मीटर के मुकाबले फिलहाल जल स्तर 125.25 मीटर है।
दूसरी ओर सबसे अधिक 141 बांधों वाले सौराष्ट्र रीजन के बांधों में फिलहाल पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है। सौराष्ट्र के इन सभी बांधों में 2588.49 एमसीएम की क्षमता है और इसके मुकाबले 853.13 एमसीएम पानी शेष रह गया है, जो 32.96 फीसदी है, जबकि दक्षिण गुजरात रीजन की स्थिति इन दिनों अच्छी है। रीजन के 13 बांधों में जल संग्रह की कुल क्षमता 8617.73 एमसीएम है, जिसके मुकाबले 5575.39 एमसीएम पानी उपलब्ध है, 64.70 फीसदी है।कच्छ रीजन के 20 बांधों में क्षमता के मुकाबले महज 36.34 फीसदी ही पानी बचा है। रीजन में सभी बांधों की क्षमता 332.27 एमसीएम है, इसके मुकाबले 120.76 एमसीएम पानी बचा है। मध्य गुजरात के 17 बांधों में जल संग्रह की भी अच्छी स्थिति है। 2331 एमसीएम क्षमता वाले मध्य गुजरात के बांधों में फिलहाल 1505 एमसीएम पानी है, जो 64.57 फीसदी है। उत्तर गुजरात के 1932.79 एमसीएम क्षमता वाले 15 बांधों में फिलहाल 792.06 एमसीएम ( 40.98 फीसदी) पानी मौजूद है।
हालांकि पीने के पानी की समस्या नहीं होगी, क्योंकि नर्मदा बांध में काफी जल संग्रह है। यह अकेला बांध ही राज्य के लोगों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त है। छह बांधों में नहीं है बिल्कुल पानी
207 बांधों में से छह में इन दिनों बिल्कुल पानी नहीं है। इनमें जामनगर जिले की रूपावती बांध, देवभूमि द्वारका का सैनी बांध, पोरबंदर जिले का अडवाना, अमीपुर, अमरेली जिले के सूरजवाड़ी और जूनागढ़ जिले का प्रेमपरा बांध शामिल हैं। इनके अलावा एक बांध में फिलहाल 90 फीसदी से अधिक जल संग्रह है जबकि सात में 80 फीसदी से अधिक और 90 फीसदी से कम संग्रह है। 191 में बांधों में 70 फीसदी से कम संग्रह शेष है।