नहीं है कोई पुत्र सुरेश भाई का कोई पुत्र नहीं है। उन्होंने अपनी पुत्रियों को ही हमेशा पुत्र समझा। उनकी इच्छा थी कि पुत्रियां आगे बढ़कर समाज में उनका नाम रोशन करेंगी। उनके अंदर इस बात का कभी भी एहसास नहीं होता था कि पुत्र नहीं है तो बुढ़ापे में उनका साथ कौन देगा। लेकिन यह भी नहीं सोचा था कि एक दिन वे खुद इस दुनिया को अलविदा कह कर इन्हें अकेले छोड़ जाएंगे।
अंतिम यात्रा में नम थी आंखें अस्पताल से जिस समय सुरेश भाई के शव को श्मशान ले जाया जा रहा था, उस समय इन बेटियों के साथ पूरा गांव चल रहा था। अंतिम संस्कार के समय जब उनकी बड़ी पुत्री ने मुखाग्नि दी तब पूरा वातावरण गमगीन हो गया।