उन्होंने कहा कि इसकी वजह मुख्यतया नीतिगत पहलें और निर्णय हैं, जो राज्य को इस दिशा में ले जाते हैं। राज्य में बुवाई के लिए फव्वारा और टपक सिंचाई पद्धति जैसी कृषि की आधुनिकतम प्रणालियों का उपयोग होता है। गुजरात में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं बेहतर हैं और उनका फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के साथ अच्छा जुड़ाव है। राज्य में बड़ी पोटेटो प्रोसेसिंग कम्पनियां हैं और आलू के ज्यादातर निर्यातक गुजरात में मौजूद हैं, इसलिए ही राज्य आलू उत्पादन में मुख्य केन्द्र बना है। आलू के चार लाख टन निर्यात में अकेले गुजरात का हिस्सा एक लाख टन है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि विश्व में बदलती जा रही खानपान पद्धति और प्रोसेस्ड फूड की बढ़ती जा रही मांग के सामने आलू उत्पादन में मूल्य वद्र्धन और आधुनिकतम पद्धति की आवश्यकता है।
इससे पहले दो वैश्विक आलू सम्मेलन वर्ष 1999 और वर्ष 2008 में आयोजित किए गए थे।
इस कॉन्क्लेव का आयोजन इंडियन पोटेटो एसोसिएशन (आईपीए), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-नई दिल्ली केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान-शिमला, आईसीएआर और इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर (सीआईपी)- लिमा, पेरू के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।