बारोट बताते हैं कि अंग्रेज और राजा-महाराजाओं शासनकाल में लोगों को अश्व पालने का शौक होता था। मौजूदा समय में भी कई लोगों को अश्व पालने का शौक है। राज्य के गृह विभाग ने भी ‘हार्स राइडिंग क्लबÓ की फिर से शुरुआत की है। इस क्लब में मारवाडी, काठियावाडी, वलेर, कंट्री बीड नस्ल के अश्व हैं।
आमजन को अश्व सवारी के प्रशिक्षण देने का उल्लेख करते बारोट कहते हैं कि इस क्लब में बेजिक और एडवांस कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे लोग पहली बार घुड़सवारी करना चाहते हैं उन्हें बेजिक प्रशिक्षण दिया जाता है। जब वे अश्वों पर काबू करने के साथ-साथ उनकी भाषा समझने लगते हैं उन्हें एडवांस का प्रशिक्षण दिया जाता है।
वे अश्वों के मूड के बारे में बताते हैं कि अश्व खुशी का एहसास कर सकते हैं। कभी-कभार नाराजगी भी जताते हैं। उनके हावभाव से समझा जा सकता है। यहां क्लब में शून्य, विजय, ज्योति, अक्षर-अक्षत, माणकी, करिश्मा और विराट के नाम के अश्व हैं। बारोट पुलिस महकमे में वर्ष १९८६ में शामिल हुए थे। वे बताते हैं कि पिता भी पुलिस से सेवानिवृत्त हुए हैं और भाई भी पुलिस में हैं। घुडसवारी का शुरुआत से ही शौक रहा है। इसके अलावा माउण्टेड पुलिस से जुडऩे के लिए आवेदन किया था। वर्ष २००८ में उप पुलिस निरीक्षक के तौर पर नियुक्ति हुई। बाद में बनासकांठा, वडोदरा, सूरत, बनासकांठा और अब अहमदाबाद में माउण्टेड पुलिस में ड्यूटी है।
पुलिस महकमे में हैं ६०३ अश्व पुलिस महकम के अश्व दल में ६०३ अश्व हैं, जिसमें १३५ नए अश्वों को शामिल किया गया है। राज्य के अश्व दल ने इस वर्ष ऑल इंडिया इक्वेस्ट्रीयन मीट में सात गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल हासिल किए। इसके चलते पुलिस विभाग का नाम रोशन भी हुआ है।
पुलिस महकम के नाम रोशन किया माउण्टेड पुलिस निरीक्षक बारोट ने घुड़सवारी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीयस्तर स्पद्र्धाओं में भाग लेकर गुजरात पुलिस का नाम रोशन किया है। वे अब तक नौ गोल्ड मेडल , ४ सिल्वर मेडल और छह ब्रॉज मेडल हासिल कर चुके हैं।
गौरतलब है कि गृहराज्यमंत्री प्रदीपसिंह जाड़ेजा ने हाल ही में शाहीबाग के अश्व कैम्प में पुलिस अश्व प्रशिक्षण और पुलिस हॉर्स राइडिंग क्लब का उद्घाटन किया है। पिछले काफी समय से यह अश्व प्रशिक्षण स्कूल खोलने की मांग उठी थी। अहमदाबाद समेत १३ जिलों में पुलिस अश्व प्रशिक्षण स्कूल प्रारंभ की गई है। यह अश्व प्रशिक्षण स्कूल जनता और पुलिस के बीच सेतु बनेगा।