मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की सरकार ने चक्रवात से पहले माइक्रो प्लानिंग, लोगों के सहयोग और प्रभावित इलाकों में युद्धस्तर पर दो लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर गुजरात में चक्रवात से बड़ी जानहानि को टाला जा सका। चक्रवात के कहर के बाद मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने तत्काल प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। गांवों में बिजली-पानी, जानहानि, पशु मृत्यु, मकान, झोपड़पट्टी, खेती-बागवानी खेत और मछुआरों की बोटों को नुकसान का सर्वे किया गया। सिर्फ नुकसानी का सर्वे ही नहीं बल्कि राज्य के राजस्व विभाग की ओर से हालातों व गंभीरता को ध्यान में रखकर 23 मई को इन इलाकों के लोगों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।
राज्य में 17 व 18 मई को आए चक्रवात के चलते प्रभावित इलाकों में पूर्ण या आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त आवासों के लिए स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड (एसडीआरएफ) के अलावा राज्य सरकार के विशेष कोष से सहायता राशि देने के लिए 23 मई को सिर्फ छह दिनों में ही प्रस्ताव पारित करने का मुख्यमंत्री रुपाणी अहम निर्णय किया, जिसमें चक्रवात में पूर्णत: क्षतिग्रस्त एवं ज्यादा नुकसान वाले कच्चे या पक्के आवासों के लिए 5200 रुपए की सहायता एसडीआरएफ और 19,800 राज्य सरकार के बजट समेत 25 हजार रुपए की सहायता दी गई। वहीं कच्चे आवास के लिए 3200 रुपए एसडीआरएफ और 21,800 रुपए राज्य सरकार के बजट से कुल मिलकर 25 हजार रुपए की सहायता देना निश्चित किया गया।
इसके अलावा पूर्णत: क्षतिग्रस्त झोपड़ों के एवज में 4100 रुपए एसडीआरएफ और 5900 रुपए राज्य सरकार के बजट से दिए गए। घर के साथ केटल शेड के नुकसान के एवज में 5000 रुपए की सहायता दी गई, जिसमें 2100 रुपए एसडीआरएफ और 2900 रुपए राज्य सरकार के बजट से दिए गए।
उल्लेखनीय है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए आवास अथवा अनाधिकृत तौर पर बने कच्चे-पक्के आवासों को पूर्णत: अथवा आंशिक नुकसान के किस्सों में मानवता के आधार पर सामान्य मकानों की तरह से राज्य सरकार के बजट से सहायता राशि चुकाने का राज्य सरकार ने अहम निर्णय किया है।