याचिकाकर्ताओं के मुताबिक इस अधिनियम को चुनौती देने के लिए दो नए आधार सुप्रीम कोर्ट की ओर से २०१७ के बाद कई मामलों में निर्धारित किए गए हैं। इनमें पहला आधार प्रकट मनमानापन है और दूसरा आधार निजता का अधिकार, अकेले रहने का अधिकार और किसी के घर की चार दीवारों के भीतर शराब का सेवन करने का अधिकार पर आधारित है। एक व्यक्ति को क्या खाने, क्या नहीं खाने, क्या खाना है, क्या पीना है, इसकी आजादी होनी चाहिए।