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मानसिक रूप से अस्वस्थ आरोपी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा अधिकारी के समक्ष करें पेश

locationअहमदाबादPublished: Mar 19, 2019 06:59:22 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

-गुजरात हाईकोर्ट का डीजीपी, मजिस्ट्रेट, जजों को अहम दिशानिर्देश..
–आरोपी के दिमागी रूप से पीडि़त पर मानसिक अस्पताल भेजें, फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं होने तक कोई कार्रवाई न करें

Gujarat high court, Double murder, Death sentence

मानसिक रूप से अस्वस्थ आरोपी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा अधिकारी के समक्ष करें पेश

अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपी युवती की फांसी की सजा को रद्द किए जाने के मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के मार्फत सभी पुलिस अधिकारियों और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के मार्फत न्यायिक मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश को कई दिशानिर्देश जारी किए।
इसके तहत किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी के बाद यह पता चले कि संबंधित आरोपी यदि मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है या इस तरह का ऐसा कोई इतिहास रहा है तो पुलिस अधिकारियों की यह ड्यूटी है कि आरोपी के मानसिक स्वास्थ्य के परीक्षण के लिए उसे चिकित्सा अधिकारी (मेडिकल ऑफिसर) के समक्ष पेश करें और आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त करें। यदि आरोपी किसी तरह की दिमागी बीमारी से पीडि़त हो तो उसे उपचार के लिए मानसिक अस्पताल में भेजा जाना चाहिए और जब तक आरोपी के फिटनेस का प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
खंडपीठ के मुताबिक यदि जांच अधिकारी आरोपी व्यक्ति के परीक्षण कराने की ड्यूटी में विफल रहता है तब ऐसे में यह न्यायिक मजिस्ट्रेट की जिम्मेवारी होगी जिनके समक्ष आरोपी को पहली बार पेश किया जाए। यदि न्यायिक मजिस्ट्रेट पहले रिमाण्ड के दौरान यह पाते हैं कि आरोपी का विक्षिप्तता (पागलपन) का इतिहास है या फिर ऐसा कोईलक्षण दिखता है तो आरोपी को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि क्या आरोपी मानसिक या कानूनी विक्षिप्तता से पीडि़त है या नहीं? मानसिक विक्षिप्तता की स्थिति में आरोपी को उचित चिकित्सकीय मदद मुहैया कराया जाना चाहिए।
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