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Gujarat: गुजरात हाई कोर्ट ने टेस्टिंग नीति पर नाराजगी जताई, कहा, कोरोना वायरस रोकने को टेस्टिंग जरूरी, टेस्टिंग में गुजरात निचले स्तर पर

locationअहमदाबादPublished: Aug 05, 2020 12:55:41 am

Submitted by:

Uday Kumar Patel

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अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी से जुड़े संज्ञान याचिका पर दिए गए विस्तृत आदेश में राज्य सरकार की कोरोना टेस्टिंग की नीति को लेकर नाराजगी जताई। खंडपीठ ने कहा कि कोरोना की महामारी को नियंत्रित करने के लिए टेस्टिंग करना सबसे अहम है। आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य मंत्रालय व दुनिया भर के देश ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर जोर दे रहे हैं। प्रति दस लाख आबादी की कोरोना टेस्टिंग की स्थिति में गुजरात निचले स्तर पर है। राज्य सरकार के इस तरह के नियत टेस्टिंग का कोई तर्कसंगत जवाब नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश व्रिकम नाथ व न्यायाधीश जे बी पारडीवाला की खंडपीठ ने कहा कि पूरे राज्य में एक सप्ताह तक रैण्डम टेस्ट किया जाना चाहिए जिससे राज्य में कोरोना वायरस के फैलने की सही तस्वीर का पता चल सकेगा।
खंडपीठ ने राज्य सरकार के टेस्टिंग को लेकर दी गई दलील पर कहा कि राज्य सरकार की दलील है कि कि टेस्ट का परिणाम सिर्फ 70 फीसदी सही होता है इसलिए इसे सीमित करना चाहिए। लेकिन पूरा विश्व जब टेस्टिंग पर जोर दे रहा है तब राज्य सरकार को इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की मदद लेते हुए उचित कार्रवाई करनी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि टेस्टिंग के लिए हरेक तहसील या शहर को जोन में बांटा जाना चाहिए। इसके बाद जोन की आबादी को देखते हुए प्रत्येक जोन में रैण्डम टेस्ट का लक्ष्य तय करें। इस प्रत्येक के टेस्ट का विवरण प्रशासन के पास रखना जरूरी होगा।

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