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Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट ने की टिप्पणी, ‘विचलित करने वाला है अहमदाबाद शहर में 18 912 इमारतों में फायर एनओसी नहीं होना’

locationअहमदाबादPublished: Oct 26, 2020 10:38:50 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

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Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट ने की टिप्पणी,  ‘विचलित करने वाला है अहमदाबाद शहर में 18 912 इमारतों में फायर एनओसी नहीं होना’

Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट ने की टिप्पणी, ‘विचलित करने वाला है अहमदाबाद शहर में 18 912 इमारतों में फायर एनओसी नहीं होना’

अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि अहमदाबाद शहर में 18912 इमारतों में अग्नि शमन अनापत्ति प्रमाण पत्र (फायर एनओसी ) नहीं होने का मुद्दा विचलित करने जैसा है। अहमदाबाद के नवरंगपुरा स्थित श्रेय अस्पताल में कोविड मरीजों की आग से मौत होने और फायर सेफ्टी के मुद्दे पर जारी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ व न्यायाधीश जे बी पारडीवाला की खंडपीठ ने राज्य सरकार के समक्ष यह तीखी टिप्पणी की।
खंडपीठ ने राज्य सरकार और अहमदाबाद महानगरपालिका अग्निशमन विभाग में खाली पड़े पदों पर भर्ती को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा। इस मामले में राज्य सरकार को 10 दिसम्बर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर रखी गई है।
सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने दलील दी कि फिलहाल फायर विभाग में 78 कार्यरत पद हैं और शेष पदों पर भर्ती बाकी है। इन सभी पदों पर जल्द ही नियुक्ति की जाएगी और राज्य के लोगों के जीवन व सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
्रं्रंखंडपीठ ने टिप्पणी की कि नगरपालिकाओं के फायर विभाग में खाली पदों का कारण अपर्याप्त रकम है। इन नगरपालिकाओं को रकम के लिए राज्य सरकार के समक्ष हाथ जोडक़र मांग करनी पड़ती है। रकम की कमी के कारण फायर विभाग में भर्ती नहीं हो पाती।
खंडपीठ ने यह भी टिप्पणी की कि अस्पतालों का मुद्दा अत्यंत गंभीर है। इनमें फायर सेफ्टी के नियम बनाने के लिए राज्य सरकार का क्या विचार है। राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में नियमों में बदलाव किए थे। अगली सुनवाई पर इस मुद्दे पर स्पष्टता की जानी चाहिए।
इससे पहले भी हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से नाराजगी जताई थी।
गत छह अगस्त को शहर के नवरंगपुरा इलाके में निजी कोविड अस्पताल में आग लगने से 8 कोरोना मरीजों की मौत को लेकर जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता अमित पंचाल की ओर से याचिका में यह दावा किया गया कि इस दुर्घटना के पीछे अस्पताल संचालक व प्रशासन की लापरवाही है। इस अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं था। याचिका में यह मांग की गई कि राज्य में ऐसी कितनी इमारतें हैं जिसमें फायर एनओसी के बिना चल रही हैं।
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