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सडक़ों पर स्पीड ब्रेकर को लेकर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

locationअहमदाबादPublished: Mar 13, 2018 11:05:52 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

कहा तीन हजार स्पीड ब्रेकरों का सर्वे कराएं व अवैध स्पीड ब्रेकर हटाएं

Gujarat High Court questions Govt and AMC on Speed Breakers

अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बार फिर अहमदाबाद में खस्ताहाल सडक़ों के ंमुद्दे पर राज्य सरकार व अहमदाबाद महानगरपालिका से नाराजगी जताई है। न्यायाधीश एम. आर. शाह व न्यायाधीश अल्पेश वाई. कोगजे की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि शहर में सार्वजनिक सडक़ों पर गैरकानूनी रूप से बेतरतीब गति अवरोधक (स्पीड ब्रेकर) बना दिया जाता है। इसके लिए किसी तरह के मानदंड नहीं होने के कारण न्यायालय ने प्रशासन से नाराजगी जताते हुए शहर के विभिन्न इलाकों के तीन हजार गति अवरोधकों के सर्वेक्षण करने तथा अवैध स्पीड ब्रेकरों को हटाने की बात कही। इस मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रेल को रखी है।
इससे पहले गत सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मनपा प्रशासन से एक बार फिर नाराजगी जताते हुए मनपा से पूछा था कि सडक़ों पर मनमाफिक स्पीड ब्रेकर बना दिए जाते हैं, इसके क्या मानदंड हैं?
साथ ही मनपा को यह निर्देश दिया था कि खस्ताहाल सडक़ों के कारण घायल होने पर पीडि़त को मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा मनपा की ओर से शिकायत निवारण सिस्टम बनाया गया। इसके साथ ही सडक़ों व अन्य नागरिक सुविधाओं के मुद्दे पर मनपा ने अपने बजट में कितना प्रावधान किया है, इसकी जानकारी देने को कहा था।
उच्च न्यायालय यह टिप्पणी की कि सडक़ों के रिसरफेंसिंग का कार्य उचित ढंगे से नहीं किया गया है। यह गंभीर मुद्दा है। सडक़ों पर रिसरफेसिंग का काम कहा गया तो सडक़ों को गड्ढे व टेकरे वाला बना दिया। सडक़ों का स्तर बिगड़ा है।
गत वर्ष मानूसन के दौरान अहमदाबाद में सडक़ों की स्थिति खस्ताहाल हो गई थी। इसी मुद्दे को लेकर मुश्ताक हुसैन मेहंदी हुसैन कादरी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। इस मुद्दे पर कई बार खंडपीठ ने मनपा ने नाराजगी जताते हुए कई निर्र्देश दिए। इसी के साथ शहर के जुहापुरा इलाके में सडक़, पानी-गटर जैसी आधारभूत सुविधा के अभाव को लेकर भी याचिका दायर की गई।
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