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Gujarat: पारसी समुदाय की गुहार खारिज, गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, महामारी में स्वास्थ्य सर्वोपरि

locationअहमदाबादPublished: Jul 23, 2021 08:39:57 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

Gujarat high court, religious practices, Parsi community, Corona

Gujarat: अपनी धार्मिक परंपरा के हिसाब से अंतिम संस्कार की पारसी समुदाय की गुहार खारिज, गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, महामारी में स्वास्थ्य सर्वोपरि

Gujarat: अपनी धार्मिक परंपरा के हिसाब से अंतिम संस्कार की पारसी समुदाय की गुहार खारिज, गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, महामारी में स्वास्थ्य सर्वोपरि

अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने पारसी समुदाय की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें यह कहा गया था कि कोरोना काल में मृतकों को अग्नि संस्कार या दफनाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीश बेला त्रिवेदी व न्याायाधीश भार्गव डी कारिया की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना काल में राज्य के लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा का मुद्दा सर्वोपरि है।
खंडपीठ ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से कांवर यात्रा को मंजूरी नहीं देने के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कोरोना जैसी स्थिति में अन्य सभी धार्मिक कार्यक्रम लोगों की सुरक्षा से ज्यादा जरूरी नहीं हैं।
हाईकोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार की ओर से कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए अंतिम संस्कार की दो विधियों (अग्नि संस्कार और दफनाने) का नियम पूरी तरह उचित है। इसलिए यह पारसी समुदाय के लिए संविधान की ओर से प्रदत्त मौलिक अधिकारों का किसी तरह से उल्लंघन नहीं है।
पारसी समुदाय ने कोरोना से मृत लोगों के उनकी धार्मिक परंपरा के हिसाब से अंतिम संस्कार करने की गुहार गुजरात हाईकोर्ट से लगाई थी। सूरत पारसी पंचायत बोर्ड और डॉ होमी दूधवाला की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि कोरोना के समय उन्हें इस धार्मिक परंपरा ‘दोखमेनशिनी’ को निभाने दिया जाए। इसमें कहा गया था कि समुदाय के मृत लोगों का अंतिम संस्कार अपनी धार्मिक विधि से करने का मौलिक अधिकार है। उन्हें अग्नि संस्कार करने या दफनाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
पारसी समुदाय की धार्मिक परंपरा के मुताबिक मरने के बाद व्यक्ति के शव को टॉवर ऑफ साइलेंस पर रखते हैं जिससे गिद्ध जैसे पक्षी खा सकें और सूर्य की रोशनी में ये नष्ट हो जाए।

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