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Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी… स्कूल नहीं खुलने तक फीस नहीं लिए का राज्य सरकार का निर्णय तर्कसंगत नहीं दिखता

locationअहमदाबादPublished: Jul 31, 2020 12:23:17 am

Submitted by:

Uday Kumar Patel

Gujarat, High court, School fees, school, State govt

Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी... स्कूल नहीं खुलने तक फीस नहीं लिए का राज्य सरकार का निर्णय तर्कसंगत नहीं दिखता

Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी… स्कूल नहीं खुलने तक फीस नहीं लिए का राज्य सरकार का निर्णय तर्कसंगत नहीं दिखता

अहमदाबाद. निजी स्कूलों के फीस के मुद्दे को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय ने यह मौखिक टिप्पणी की कि वास्तविक रूप से स्कूल नहीं खुलने तक फीस नहीं लिए जाने का राज्य सरकार का निर्णय तर्कसंगत नहीं जान पड़़ता।
फीस माफ करने के पीछे क्या तर्क है। निजी स्कूल किस प्रकार शिक्षकों, कर्मचारियों का वेतन सहित अन्य खर्च निकाल सकेंगे।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि जिन अभिभावकों को फीस भरने में परेशानी हो तो सरकार उनकी मदद क्यों नहीं कर रही। यदि सरकार कोई उचित व्यवस्था बनाए तो यह सवाल नहीं उठ सकता। राज्य सरकार का यह निर्णय प्रथम दृष्टया उचित नहीं जान पड़ता। इस मुद्दे पर सरकारी फीस की माफी को लेकर जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल्स की याचिका को भी जनहित याचिकाओं के साथ मिलाकर शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी पर राज्य सरकार ने कहा कि इस वर्ष स्कूलों को जो खर्च हो वे उसे अगले वर्ष फीस नियमन समिति (एफआरसी) के समक्ष पेश कर सकेंगे। इस खर्च को एफआरसी ध्यान में लेगी और इसे फीस के रूप में अगले वर्ष ले सकेंगे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि एफआरसी अगले वर्ष इस वर्ष का खर्च फीस के साथ लेने की मंजूरी देगी तो इससे यह बोझ अभिभावकों पर ही पड़ेगा। तब फिर से यह परिस्थिति खड़ी हो जाएगी।
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कोरोना की महामारी को लेकर अभिभावकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से वे फीस नहीं भर सकते। राज्य सरकार बीच का रास्ता निकालने के लिए निजी स्कूलों के साथ चर्चा की थी और फीस में रियायत के लिए कहा था लेकिन निजी स्कूलों ने रियायत देने से इन्कार किया था। इसलिए सरकार को अधिसूचना जारी करने की जरूरत पड़ी।
उधर याचिकाकर्ता के वकील विशाल दवे ने दलील दी कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलें पूरी तरह बंद थी इसलिए स्कूल उस समय फीस नहीं ले सकते थे। इसके अलावा ट्यूशन फीस व अन्य क्रियाकलापों के लिए भी फीस वसूलना उचित नहीं है। स्कूलों को 70 फीसदी फीस तो मिल चुकी है। स्कूल तीन महीने की फीस एडवांस में लेते हैं इसलिए इन स्कूलों को कोई बड़ा नुकसान नहीं है।

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