गुजरात भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल ‘केशू बापा’ दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि दोनों बार मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। २४ जुलाई 1928 को सौराष्ट्र में जूनागढ़ जिले के विसावदर में जन्मे केशूभाई गुजरात में भाजपा की नींव रखने में अग्रणी नेता थे। वर्ष 1945 में वे आरएसएएस में प्रचारक के रूप में जुड़े। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया। 1960 में वे गुजरात में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। आपातकाल के दौरान वे जेल भी गए। वर्ष 1977 में वे राजकोट से लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए। बाद में उन्होंने इस्तीफा दिया और 1978 से 1980 के बीच गुजरात के बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में कृषि मंत्री के रूप में काम किया।
वे पहली बार 14 मार्च 1995 को गुजरात के मुख्यमंत्री बने लेकिन सिर्फ सात महीने में ही शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर सत्ता में वापसी की और केशूभाई को कमान सौंपी गई। 4 मार्च 1998 को वे फिर से सीएम बने। हालांकि 2 अक्टूबर 2001 को पटेल को बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद की बागडोर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाली।
पटेल ने वर्ष 2002 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और वे राज्यसभा के लिए चुने गए। 2012 में वे भाजपा से अलग गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई। पार्टी ने दो सीटें जीतीं। उन्होंने जीपीपी के अध्यक्ष पद से वर्ष 2014 में इस्तीफा दिया और फिर विधायक पद से भी इस्तीफा दिया। बाद में जीपीपी का भाजपा में विलय हो गया। मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
वे पहली बार 14 मार्च 1995 को गुजरात के मुख्यमंत्री बने लेकिन सिर्फ सात महीने में ही शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर सत्ता में वापसी की और केशूभाई को कमान सौंपी गई। 4 मार्च 1998 को वे फिर से सीएम बने। हालांकि 2 अक्टूबर 2001 को पटेल को बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद की बागडोर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाली।
पटेल ने वर्ष 2002 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और वे राज्यसभा के लिए चुने गए। 2012 में वे भाजपा से अलग गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई। पार्टी ने दो सीटें जीतीं। उन्होंने जीपीपी के अध्यक्ष पद से वर्ष 2014 में इस्तीफा दिया और फिर विधायक पद से भी इस्तीफा दिया। बाद में जीपीपी का भाजपा में विलय हो गया। मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।