इसकी कथा इस प्रकार है। सामा कृष्ण की पोती है। चकेबा नाम का ब्राह्मण तपस्या कर रहा होता है। चकेबा सामा के बाबा कृष्ण से झूठी शिकायत करता है। कृष्ण सच मानकर सामा को पक्षी बनने का श्राप देते है। वृंदावन में सप्त ऋषि के पास सामा का भाई शाम पहंचता है। ऋषि उन्हें सात वर्ष कृष्ण की तपस्या करने को कहते हैं। सामा तपस्या करता है। तपस्या पूर्ण होने के बाद सामा मनुष्य रूप में आ जाती है। दोनों भाई बहन का मिलन होता हैं। यह पर्व पंचमी के दिन शुरू होती है और पूर्णिमा के दिन विसर्जन होता है। बहन अपने भाई के लिए कोई अनहोनी न हो, अकाल मृत्यु न हो, धन -धान्य से परिपूर्ण हो, इसके लिए यह पर्व मनाया जाता है।