इस प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद से ही राज्य के दक्षिणी हिस्सों के जिलों में रहने वाले आदिवासी समाज के लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। पहला विरोध प्रदर्शन वलसाड जिले की कपराडा तहसील में गत 28 फरवरी को हुआ था। गत 5 मार्च को व्यारा, 11 मार्च को डांग व 21 मार्च को कपराडा में विरोध प्रर्दशन आयोजित किए गए थे। वांसदा के कांग्रेस विधायक अनंत पटेल के नेतृत्व में भी पार्टी ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इन सभी बैठकों में आदिवासी समाज के लोगों ने विस्थापन, पुश्तैनी जमीन और संपत्ति खोने की आशंका जताई थी। दादरा नगर हवेली से सांसद कलाबेन डेलकर ने गत 25 मार्च को लोकसभा में इस मुद्दे पर आ्दिवासियों के विस्थापन का मुद्दा भी उठाया था।
क्या है यह योजना यह प्रोजेक्ट पश्चिमी घाटों के पानी वाले सरप्लस क्षेत्रों से सौराष्ट्र व कच्छ को पानी स्थानांतरित करने की योजना है। इस योजना के तहत तीन नदियों-पार, तापी और नर्मदा- को जोड़ा जाना है। महाराष्ट्र के नासिक से निकलने वाली पार नदी वलसाड तक बहती है। सापूतारा से निकलने वाली तापी नदी महाराष्ट्र व गुजरात के सूरत तक बहती है वहीं मध्य प्रदेश से निकलने वाली नर्मदा महाराष्ट्र के साथ-साथ गुजरात के भरूच व नर्मदा जिले में भी बहती है।
राज्य सरकार ने कभी नहीं दी सहमति, स्थगित करने का स्वागत गांधीनगर. गुजरात सरकार ने केन्द्र सरकार की ओर से पार तापी नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट स्थगित करने के निर्णय का स्वागत किया है। स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि गुजरात सरकार ने आदिवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए इस प्रोजेक्ट को कभी सहमति नहीं दी।