केरल विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं का कहना है कि अब तक इस खुदाई स्थल से जो कुछ मिला है वह हड़प्पा काल की तरह ही है। हाल में जो प्राचीनतम सामग्री मिली है उनमें शीप से बनी हुई एक चूड़ी के अलावा पत्थर का ब्लेड भी शामिल है। खटिया गांव के निकट उत्खनन टीम में शामिल एक अधिकारी का कहना है कि खुदाई में शव दफनाने के सामान में मिट्टी के बर्तन हैं जो हड़प्पा काल जैसे ही हैं। इस जगह मिट्टी अम्लीय है जिससे शव तेजी से गलने लगते हैं। इसलिए शोधकर्ताओं को इस साइट से नमूनों का डीएनए नमूने भी लेने में कठिनाई हो रही है। जब तक डीएनए नहीं लिया जाएगा तब तक ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।हड़प्पा संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति में से है। यह लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी है। खटिया के आस-पास चल रही इस खुदाई में विविध देश और राज्यों के 27 पुरातत्वविद लगे हुए हैं। उत्खनन से मिली शीप की चूडि़यां को एकत्र कर इसे अहमदाबाद स्थित एफएसएल में भेजा गया जहां से इसके 2850 इस्वी ईसा पूर्व होने का पता चला।
केरल विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर राजेश एस वी के नेतृत्व में यह शोध किया गया है। प्रो. अभयन जीएसए के मुताबिक यहां से मिलने वाले अवशेष हड़प्पा काल के होने के प्रतीत होते हैं।
पुरानी सभ्यताओं में से एक है हडप्पा हड़प्पा सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। यह सभ्यता लगभग 5,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व तक सिंधु नदी के किनारे फली-फूली थी।150 किलोमीटर दूर है धोलावीरा
कच्छ जिले में ही धोलावीरा है जो हड़प्पा काल का अहम स्थल माना जाता है। इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में दर्जा दिया गया है। यह हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े महानगरों में से है जो यह खटिया से 150 किलोमीटर दूर है।