गुजरात में पिछले महीने आए चक्रवात में आम के साथ-साथ नारियल, केला, चीकू, पपीता जैसे पेड़ उखड़ गए वहीं कई अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ था। सौराष्ट्र के गिर सोमनाथ, जूनागढ़ अमरेली, भावनगर, बोटाद के साथ-साथ दक्षिण गुजरात के कुछ जिलों में 85 तहसीलों के 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रों में बागवानी और कृषि फसलों को नुकसान हुआ।
इन पेड़ों को फिर से स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने राज्य के चार कृषि विश्वविद्यालयों के 250 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। इन वैज्ञानिकों ने 1200 से ज्यादा प्रभावित गांवों में 11 हजार किसानों का मार्गदर्शन दिया। अब ये किसान इन वैज्ञानिक पद्धति से पेड़ों को फिर से खड़ा करने के काम में लगे हैं।
ये कृषि वैज्ञानिक जूनागढ़, अमरेली व गिर सोमनाथ जिलों में जाकर किसानों को मिले। इन वैज्ञानिकों ने किसानों का मार्गदर्शन किया। इन मार्गदर्शिका पर किसान अमल कर रहे हैं। इस तरह बचाया जा सकता है पेड़
कृषि वैज्ञानिकों की ओर से उखड़ गए पेड़़ों को फिर से स्थापित करने के लिए मार्गदर्शन दिया गया। उखड़ गए पेड़ों के गिरने पर उसके जड़़ से 10 फिट बाद की डालियों को कटर से काटने के बाद जड़ की तरफ से 3 से 4 फिट गड्ढे कर ट्रैक्टर से पेड़ को खड़े कर सहारा देने चाहिए। जड़़ में मिट्टी और गोबर खाद डाला जाना चाहिए। इसके बाद कटी हुई डालियों में बोर्डोपेस्ट लगाकर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड द्रव्य जड़ में ड्रेचिंग करने से पेड़ को बचाया जा सकता है।