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जीयू के गोल्डमेडलिस्ट ने बताए सफलता के गुर

locationअहमदाबादPublished: Jan 21, 2018 11:10:50 pm

Submitted by:

Nagendra rathor

जीयू के ६६वें दीक्षांत समारोह में १३५ विद्यार्थियों को २४२ स्वर्ण पदक

President of india
अहमदाबाद. गुजरात विश्वविद्यालय के ६६वें दीक्षांत समारोह में १३५ विद्यार्थियों ने २४२ स्वर्ण पदक अपने नाम किए। अपनी दिन-रात की पढ़ाई, विवेक और बुद्धि के जरिए स्वर्ण पदक जीतने वाले विद्यार्थियों ने अपने सफलता के गुर भी बताए।
पति के सपने ने दी हिम्मत: शालू
जीयू में सर्वाधिक १० स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालीं एलएलबी डिग्री धारक शालू रावल बताती हैं कि पति दीपक सी.रावल के सपने को पूरा करने की प्रेरणा ने उन्हें इतनी हिम्मत दी कि वह ऐसा करने में सफल हो पाईं। दीपकभाई का वर्ष २०१२ में देहांत हो गया। पेशे से वकील दीपक का सपना था कि उनकीपत्नी सालू भी वकील बनें। १९९१-९२ में बीकॉम करने वालीं शालू वैवाहिक जीवन में तब पढ़ाई नहीं कर पाईं। लेकिन २०१२ में पति के देहांत के बाद उनका सपना पूरा करने के लिए २०१४ में पढ़ाई शुरू की। दिन में 4-5 घंटे की पढ़ाई से उन्होंने यह सफलता पाई है। वह बताती हैं कि इस दौरान वकील के यहां प्रेक्टिस भी की जिससे उन्हें कानूनी कागजात तैयार करने की जानकारी बेहतर थी, जो इन्हें पढ़ाई में काम आई। उनका बेटा भी इसी साल इंजीनियरिंग में स्नातक हुआ है।
धर्मगुरु की प्रेरणा से ली होम साइंस, पाए तीन गोल्ड
जीयू में राष्ट्रपति के हाथों स्वर्ण पदक पाने वालीं गोधरा निवासी फातिमा करियाणावाला बताती हैं कि उन्होंने धर्म गुरू सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की प्रेरणा से होम साइंस ली। इसमें तीन स्वर्ण पदक पाए। सोचा नहीं था कि राष्ट्रपति के हाथों यह पदक उन्हें मिलेंगे। वह काफी खुश हैं। पिता व्यापारी हैं और मां गृहिणी। धर्मगुरू कहते हैं कि हर महिला को होमसाइंस की शिक्षा जरूर लेनी चाहिए। उनकी इन बातों से उन्होंने होम साइंस लिया।
ट्यूशन करते किया बीएड, पाया स्वर्ण पदक
जीयू में राष्ट्रपति के हाथों बीएड में अव्वल रहने वाले स्वर्ण पदक पाने वालीं गोधरा निवासी शाइमा बेगम खातिब बताती हैं कि उनके पिता का नौ साल पहले देहांत हो गया। वह चार भाई-बहन हैं। परिवार में ज्यादातर लोग शिक्षक हैं, जिससे उन्हें भी शिक्षक बनना था। बीकॉम, एमकॉम करने के बाद ट्यूशन पढ़ाते हुए उन्होंने बीएड की। उनके परिवार में वह पहली हंै जिन्हें गोल्ड मेडल मिला है, और वह भी राष्ट्रपति के हाथों पाने का सौभाग्य मिला। शाइमा ने दो स्वर्ण पदक पाए हैं।
चिकित्सक के डॉक्टर बेटे को आठ गोल्ड
डॉ. मनीष बैंकर के पुत्र अमय बैंकर ने मेडिकल (एमबीबीएस) में आठ स्वर्ण पदक पाए हैं। उन्हें भी राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। अमय बताते हैं कि उन्हें तो चंद दिनों पहले ही पता चला था कि उन्हें राष्ट्रपति के हाथों स्वर्ण पदक पाने का सौभाग्य मिलने वाला है। पिता मनीष बैंकर चिकित्सक हैं। वह न्यूरो सर्जन बनने के इच्छुक हैं। वह बताते हैं कि सुबह के शुरूआती तीन घंटे तन्मयता के साथ पढ़ाई करके उन्होंने यहसफलता पाई है।
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