पहली से 8 वीं कक्षा तक गुजराती विषय अनिवार्य करने की तैयारी
सीएम ने शिक्षा विभाग के चिंतन शिविर में दिए संकेत

अहमदाबाद. गुजरात में पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक गुजराती भाषा की शिक्षा को अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शुक्रवार को हुई शिक्षा विभाग की चिंतन शिविर के समापन समारोह में इस इसके स्पष्ट संकेत दिए।
उन्होंने मातृभाषा (गुजराती) का महात्म पुन:स्थापित हो, इसके लिए आगामी शैक्षणिक सत्र से सभी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक गुजराती विषय की शिक्षा को अनिवार्य करने के संकेत दिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य में प्राथमिक- माध्यमिक सहित शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधारने की हिमायत करते हुए कहा कि संसाधन, वित्त आवंटन और मानवबल की सम्पूर्ण सजगता का उपयोग करके सरकारी स्कूलों को भी निजी स्कूलों से बराबरी करने योग्य बनाया जाएगा।
रूपाणी ने राज्य के शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों-जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों के एक दिवसीय चिंतन शिविर में कहा कि शिक्षा विकास की आधारभूत आवश्यकता है। जब तक शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर ऊपर नहीं आएगा, तब तक विकास अधूरा है।
उन्होंने गुजरात में 100 फीसदी स्कूल नामांकन, शिक्षा गुणवत्ता सुधार के लिए राज्य सरकार के संकल्पबद्ध होने की बात दोहराते हुए कहा कि शिक्षक और क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों को इस कार्य में सरकार का सम्पूर्ण सहयोग रहेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रति वर्ष करीब 25,000 करोड़ रुपए शिक्षा के लिए आवंटित करती है। गरीब, वंचित, शोषित और श्रमजीवी वर्ग मिलाकर कुल 80 लाख से ज्यादा बालक 34 हजार स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और 3 लाख से ज्यादा शिक्षक- कर्मचारी शिक्षा यज्ञ में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि शिक्षकों की सजगता, शिक्षा में नए इनोवेशंस, प्रयोगों के लिए शिक्षकों की टीम बनायी जानी चाहिए। जिलों के बीच आंतरिक स्पर्धा हो और श्रेष्ठ रहने वालों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। जिससे शिक्षकों में नया उत्साह आएगा और बालकों को शिक्षित करने के लिए नवीनतम आयाम लागू किए जा सकेंगे।
शिक्षा मंत्री भुपेन्द्रसिंह चूडासमा ने कहा कि शिक्षा के साथ ही लोकशिक्षा भी शिक्षकों द्वारा हो, तभी सामाजिक जीवन स्वस्थ बनेगा। शिक्षा को ज्यादा गुणवत्तापूर्ण बनाए जाने के लिए डीईओ और डीपीईओ सप्ताह में एक- दो दिन स्कूलों का दौरा करें तो ही शिक्षा कार्यों में गुणवत्ता आ सकेगी।
शिक्षा राज्य मंत्री विभावरीबेन दवे, प्राथमिक शिक्षा प्रधान सचिव सुनयना तोमर ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में शिक्षकगण, शिक्षाविद और कई अधिकारी उपस्थित थे।
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