ऋण नहीं आर्थिक मदद की आवश्यकता लॉकडाउन के चलते छोटे और मध्यमर्गीय परिवारों को गुजारा करने के लिए पहले ऋण की नहीं बल्कि आर्थिक मदद की आवश्यकता है। ऐसे हालातों से रोज कमाने खाने वालों को उबारने और धंधा-रोजगार को गति देने के लिए सरकार को आर्थिक मदद (finacial help) सीधे ही उनके खाते में देनी चाहिए। सरकार की घोषणा आत्मनिर्भर के बजाय सिर्फ घोषणा ही बनकर नहीं रह जाए। गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोशी ने सरकार की योजनाओं पर यह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कोरोना (corona ) महामारी के बीच लॉकडाउन के 54 दिन बीत गए हैं, ऐसे में रोज कमाने खाने वाले रिक्शा चालक (auto riksha) , फेरिया, स्वरोजगार करनेवालों के लिए सरकार ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं।