राज्य में मानसून में औसतन ७६ फीसदी बारिश हुई है। इसके बावजूद बांधों में जलसंग्रह की स्थिति अच्छी नहीं है। प्रमुख २०३ बांधों में से कच्छ जिले के निरूना, मठल, काळिया व कासबती बांधों में शून्य फीसदी जलसंग्रह है। यही स्थिति बोटाद जिले के लिम्बाली और भीमदाद की है। मोरबी जिले के डेमी-३, घोड़ाघ्रोई, राजकोट के कामुकी एवं खोड़ापीपर, सुरेन्द्रनगर जिले के सबुरी, पोरंबदर के सोरर्थी तथा देवभूमि द्वारका जिले के शेधाभार्थी बांध में भी शून्य फीसदी अर्थात बिल्कुल संग्रह नहीं है।
२७ बांध ऐसे हैं उनमें क्षमता का एक फीसदी भी पानी का संग्रह नहीं है। वहीं ७० बांधों में १० फीसदी भी संग्रह नहीं हुआ है। जबकि १२८ बांध ऐसे हैं उनमें पचास फीसदी से कम जल संग्रह हुआ है। इसके विपरीत २१ बांधों में अभी भी चादर चली हुई है। इन बांधों में क्षमता का सौ फीसदी जलसंग्र हो गया है। इन समेत ३९ बांधों में ९० फीसदी से अधिक जलसंग्रह हुआ है। इनमें से ३८ अभी भी हाईअलर्ट पर हैं। नौ बांधों में ८० से ९० फीसदी जलसंग्रह है उन्हें अलर्ट और आठ में ७० से ८० फीसदी जलसंग्रह होने पर उन्हें चेतावनी पर रखा गया है। कुछ बांधों में पानी की आवक अभी भी हो रही है। १५० बांधों में शून्य से लेकर ७० फीसदी तक जलसंग्रह है।
इन सभी प्रमुख (२०३) बांधों की जलसंग्रह क्षमता १२९३२ मिलियन क्बूबिक मीटर (एमसीएम) है, जिसके मुकाबले फिलहाल ७१६९ एमसीएम जल संग्रह है। कुल संग्रह का यह ५५.४४ फीसदी है। वहीं सरदार सरोवर (नर्मदा) बांध में कुल क्षमता ९४६० एमसीएम के मुकबाले ६४०६ एमसीएम जलसंग्रह है जो क्षमता का ६७.७२ फीसदी है। राज्य के सभी छोटे बड़े बांधों में संग्रह क्षमता २५२२० एमसीएम है। फिलहाल सभी बांधों में मिलाकर १४९०८ एमसीएम संग्रह है जो क्षमता का ५९.११ फीसदी है।
ओमप्रकाश शर्मा