राज्यभर में आंदोलन के नेताओं को अनशन में आने से रोकने के लिए उनके घर पर ही नजरबंद कर लिया गया है। गुजरातभर से आ रहे करीब १६ हजार पाटीदारों को अलग अलग जिलों में रोका गया होने का दावा भी हार्दिक ने किया। आंदोलन स्थल के बाहर भी तीन किमी के दायरे में हाॢदक के उपवास में जाने से रोका जा रहा है।
हार्दिक ने कहा कि सरकार के कहने पर यदि गुजरात पुलिस की ओर से उन्हें गिरफ्तार भी किया जाता है तो भी उनका अनशन जारी रहेगा। जेल में भी अनशन जारी रहेगा।
हार्दिक पटेल ने गुजरात सरकार पर अंग्रेजों की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात में अब संविधान भी खतरे में हैं। गांधी और सरदार के गुजरात में हमारी आवाज को दबाया जा रहा है। इतना ही नहीं हार्दिक ने उनके आवास में आने वाले दूध और पानी की भी चेकिंग करने व रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
अहमदाबाद में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। विशेषकर पाटीदार बहुल इलाके में एसआरपी की भी तैनाती की गई है। सेक्टर दो इलाके में तो पेट्रोलिंग गश्त जारी है। तीन डीसीपी की अगुवाई में करीब तीन हजार पुलिसकर्मी तैनात किए।
हार्दिक ने कहा कि सरकार के कहने पर यदि गुजरात पुलिस की ओर से उन्हें गिरफ्तार भी किया जाता है तो भी उनका अनशन जारी रहेगा। जेल में भी अनशन जारी रहेगा।
हार्दिक पटेल ने गुजरात सरकार पर अंग्रेजों की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात में अब संविधान भी खतरे में हैं। गांधी और सरदार के गुजरात में हमारी आवाज को दबाया जा रहा है। इतना ही नहीं हार्दिक ने उनके आवास में आने वाले दूध और पानी की भी चेकिंग करने व रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
अहमदाबाद में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। विशेषकर पाटीदार बहुल इलाके में एसआरपी की भी तैनाती की गई है। सेक्टर दो इलाके में तो पेट्रोलिंग गश्त जारी है। तीन डीसीपी की अगुवाई में करीब तीन हजार पुलिसकर्मी तैनात किए।
कांग्रेसी विधायक मिलने पहुंचे
हार्दिक के अनशन पर बैठने के कुछ घंटों के बाद ही उनसे मिलने के लिए कांग्रेस के विधायक ललित वसोया, ललित कगथरा, आशाबेन पटेल और किरीट पटेल पहुंचे थे। वडगाम से विधायक व दलित नेता जिग्नेश मेवाणी भी मिलने पहुंचे थे।
हार्दिक के अनशन पर बैठने के कुछ घंटों के बाद ही उनसे मिलने के लिए कांग्रेस के विधायक ललित वसोया, ललित कगथरा, आशाबेन पटेल और किरीट पटेल पहुंचे थे। वडगाम से विधायक व दलित नेता जिग्नेश मेवाणी भी मिलने पहुंचे थे।
आवाज दबाने को दमन : मेवाणी
हार्दिक से मिलने पहुंचे विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि सरकार हार्दिक को रोकने की कोशिश कर रही है। गुजरात सरकार का यह घटिया रवैया है। सरकार पाटीदारों के प्रति पूर्वग्रह रखते हुए दमन किया जा रहा है। जिस धरती पर महात्मा गांधी ने आंदोलन किए उसी धरती पर आंदोलनों को दबाया जा रहा है।
हार्दिक से मिलने पहुंचे विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि सरकार हार्दिक को रोकने की कोशिश कर रही है। गुजरात सरकार का यह घटिया रवैया है। सरकार पाटीदारों के प्रति पूर्वग्रह रखते हुए दमन किया जा रहा है। जिस धरती पर महात्मा गांधी ने आंदोलन किए उसी धरती पर आंदोलनों को दबाया जा रहा है।
‘आप’ ने सौंपा समर्थन पत्र
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक किशोरभाई देसाई की ओर से हार्दिक पटेल क आवास पर पहुंचकर उन्हें आप की ओर से उनके अनशन का समर्थन करने से जुड़ा पत्र सौंपा। किशोरभाई ने पुलिस पर हार्दिक से मिलने आने से रोकने का आरोप लगाया। काफी वाद-विवाद के बाद उन्हें अंदर आने दिया गया होने की बात उन्होंने कही।
मिलने जाने वालों का नाम, पता दर्ज करने के बाद प्रवेश!
हार्दिक पटेल से मिलने पहुंचने वालों को पुलिस की ओर से बाहरी प्रवेश द्वार पर ही रोका जा रहा था। उनका नाम, पता, मोबाइल नंबर, वाहन नंबर लिखने के बाद और पहचान-पत्र देखने के बाद ही जाने दिया जा रहा था। उसमें भी जो लोग पास से जुड़े थे।
१५८ पाटीदारों को लिया हिरासत में: एडीजीपी कानून-व्यवस्था
हार्दिक की ओर से लगाए गए १६ हजार पाटीदारों को हिरासत में लेने के आरोपों पर गुजरात पुलिस के कानून एवं व्यवस्था के एडीजीपी आर.बी.ब्रह्मभट्ट ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिर्फ १५८ लोगों को ही दोपहर तक हिरासत में लिया गया है। १६ हजार का आंकड़ा गलत है। जहां तक मंजूरी न देने की बात है तो पूर्व में जब २५ अगस्त २०१५ को मंजूरी दी गई उसके बाद बड़े पैमाने पर अहमदाबाद व राज्यभर में तोडफ़ोड़, आगजनी की घटनाएं हुईं। सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगाडऩे की कोशिश करने वाले पर कार्रवाई की जाएगी।
हार्दिक की ओर से लगाए गए १६ हजार पाटीदारों को हिरासत में लेने के आरोपों पर गुजरात पुलिस के कानून एवं व्यवस्था के एडीजीपी आर.बी.ब्रह्मभट्ट ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिर्फ १५८ लोगों को ही दोपहर तक हिरासत में लिया गया है। १६ हजार का आंकड़ा गलत है। जहां तक मंजूरी न देने की बात है तो पूर्व में जब २५ अगस्त २०१५ को मंजूरी दी गई उसके बाद बड़े पैमाने पर अहमदाबाद व राज्यभर में तोडफ़ोड़, आगजनी की घटनाएं हुईं। सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगाडऩे की कोशिश करने वाले पर कार्रवाई की जाएगी।