भारत में तीसरी लहर से इनकार नहीं किया जा सकता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गुजरात इकाई के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चंद्रेंश जरदोश का मानना है कि कोरोना की की तीसरी लहर जिस तरह से विश्व के कई देशों में आई है उससे लगता है कि भारत में भी इसका आना लगभग तय है। इस लहर से आने से पहले यदि देश में 70 फीसदी हर्ड इम्युनिटी डवलेप कर ली जाती है तो कोरोना का असर ज्यादा नहीं हो सकता है। लेकिन यदि चूक होती है तो इसके परिणाम खतरनाक भी हो सकते हैं। इसके लिए देश में प्रतिमाह कम से कम 20 करोड़ टीकों की जरूरत है। डॉ. जरदोश का कहना है कि 16 जनवरी से अब तक देश में लगभग 16 करोड़ ही टीके लग पाए हैं। लक्ष्य को हासिल करने के लिए वैक्सीन कंपनियों को देश हित में आगे आना होगा । भारतीय कंपनियों के लिए बीस करोड़ प्रति माह वैक्सीन का निर्माण करना बड़ी बात नहीं है।
डॉ. जरदोश ने बताया कि 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीन की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।
थर्ड वेव में बच्चों के संक्रमित होने की भी आशंका कोरोना की पहली लहर में बच्चों के संक्रमित होने की घटनाएं सामने नहीं आईं थीं। दूसरी लहर में कुछ बच्चों के संक्रमित होने के मामले सामने आए थे। संभावित तीसरी लहर में बच्चों के लिए भी यह संक्रमण खतरनाक साबित हो रहा है, क्योकि हर बार इसका स्वरूप बदलता रहता है। यदि बच्चे संक्रमित होंगे तो उनके साथ उनके अभिभावकों को रहने की मजबूरी होगी। ऐसे में संक्रमण बढऩे का खतरा ज्यादा हो जाएगा। इसके लिए हर्ड इम्युनिटी डवलेप होना जरूरी है।
डॉ. प्रवीण गर्ग, सीनियर फिजिशियन अहमदाबाद